तेजस्वी यादव द्वारा बिहार में DK टैक्स का आरोप लगाने पर पूर्व विधान पार्षद और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. रणबीर नंदन ने करारा प्रहार किया है। प्रो. नंदन ने कहा कि यहां ना आरसीपी टैक्स था और न कोई और टैक्स है। तेजस्वी यादव की घबराहट का कारण यही है कि एनडीए का साझा चुनावी अभियान प्रारंभ हो गया है और 200 से भी ज्यादा सीटें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए जीतेगा और इसी बात से तेजस्वी घबराए हुए हैं। इसीलिए उन्होंने ईमानदार ऑफिसर्स के विरोध में बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव खुद तो लालू टैक्स के सूद के सहारे राजनीति में टिके हुए हैं। पूरा परिवार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। लेकिन बिहार में स्थिर राजनीति और सुशासन की सरकार उनसे बर्दाश्त नहीं हो रही है। पहले तो वे जैसे तैसे सत्ता हासिल करने की कोशिश करते रहे और जब इसमें सफल नहीं हो पाए तो फालतू के आरोप लगा रहे हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि चारा घोटाला, मिट्टी घोटाला, जमीन घोटाला, अलकतरा घोटाला, आईआरसीटीसी घोटाला… ये घोटालों की लिस्ट है, जो लालू और राजद के कार्यकाल में हुए हैं। इसके अलावा खुद तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटियां भी आरोपी हैं। यही नहीं लालू यादव के शासन काल की बात की जाए, तो कानून व्यवस्था से लेकर, शिक्षा, रोजगार की हालत कितनी तंदुरुस्त थी, इसके लिए शायद आंकड़े दिखाने की भी जरूरत नहीं। लालू यादव के शासनकाल को जंगलराज का नाम ऐसे हीं नहीं दिया गया। बिहार के लिए ये वो अधंकार का युग था, जब इस राज्य में दिन के उजाले में भी महिलाओं और बेटियों का घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं था, वहीं सूरज ढलने के बाद तो पुरुषों पर भी खतरा मंडराता था।
प्रो. नंदन ने कहा कि आज बिहार विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है, विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उसके राज्य को जंगलराज कहा जाए, उससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है। बिहार में अपहरण को उद्योग का दर्जा लालू यादव के कार्यकाल में मिला। लालू राज बिहार से उद्योगपतियों को खदेड़ने, यहां नरसंहार कराने के लिए जाना जाता है। रही बात अधिकारियों की तो लालू यादव ने अपने कार्यकाल में अधिकारियों से पीकदान उठवाया था। लेकिन बिहार में एनडीए की सरकार में अधिकारी वो करते हैं, जो बिहार के विकास के लिए जरुरी होता है।
उन्होंने कहा कि साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बिहार के मुख्य सचिव रहे मुकुंद प्रसाद के लिए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का पद क्रिएट किया था। इससे पहले मुकुंद प्रसाद, लालू यादव के भी पीएस रहे थे। इसके बाद बिहार के मुख्य सचिव बनाए गए। फिर रिटायरमेंट के बाद मुकुंद प्रसाद को राबड़ी देवी का प्रधान सचिव बनाया गया था। मुख्यमंत्री रहते ही राबड़ी देवी ने राज्यादेश निकाला था कि रिटायर आईएएस अधिकारी को भी मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया जा सकता है। ऐसे में तेजस्वी यादव को बिहार में रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों के कार्यरत होने की परेशानी पर पहले अपने घर में लालू यादव और राबड़ी देवी से पूछना चाहिए कि उन्होंने मुकुंद प्रसाद के लिए नियमों में फेरबदल क्यों किया था?