बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्ष लगातार नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साध रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बाद अब जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री की मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है।
प्रशांत किशोर ने पटना में अपने सत्याग्रह अनशन के 14वें दिन गंगा नदी में स्नान कर और छात्रों के हाथों केला खाकर अनशन समाप्त किया। उन्होंने एलसीटी घाट पर गांधी जी के नाम पर ‘बिहार सत्याग्रह आश्रम’ की स्थापना की, जहां वे लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे। प्रशांत किशोर का लक्ष्य एक लाख से अधिक लोगों और युवाओं की समस्याओं का निदान करना है। सत्याग्रह स्थल से ही उन्होंने नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए सरकार से उनका मेंटल हेल्थ बुलेटिन जारी करने की मांग की।
प्रशांत किशोर के इस बयान पर एनडीए के घटक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि प्रशांत किशोर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि “नीतीश कुमार गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रहे हैं और 18 से 22 घंटे मेहनत कर बिहार को अच्छे से चला रहे हैं। ऐसे मुख्यमंत्री पर सवाल उठाना अनुचित है।”
हम पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए कहा कि “प्रशांत किशोर खुद राजनीति में जगह बनाने के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। नीतीश कुमार बिहार का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रहे हैं।”
जेडीयू के एमएलसी और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने प्रशांत किशोर पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जिस नीतीश कुमार को प्रशांत किशोर कभी पिता तुल्य मानते थे, आज उन्हीं पर मानसिक विक्षिप्त होने का आरोप लगा रहे हैं। नीरज कुमार ने चेतावनी दी कि प्रशांत किशोर को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए, वरना उनके राजनीतिक करियर का पर्दाफाश कर दिया जाएगा।
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर छिड़ी इस सियासी जंग ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। विपक्ष की बयानबाजी और सत्तापक्ष की प्रतिक्रियाओं के बीच जनता में भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।