नई दिल्ली: बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले टेक इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash) के चार वर्षीय बेटे की कस्टडी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मां निकिता सिंघानिया को सौंप दी है। अदालत का यह फैसला बच्चे की दादी अंजू देवी के लिए झटका साबित हुआ है, जिन्होंने अपने पोते की कस्टडी की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान अदालत का रुख
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही निकिता सिंघानिया के वकील को निर्देश दिया कि बच्चे को 30 मिनट के अंदर वीडियो लिंक के माध्यम से पेश किया जाए। इससे पहले अदालत ने इस महीने की शुरुआत में भी बच्चे को पेश करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि मामले का निर्णय “मीडिया ट्रायल” या बाहरी बहस के आधार पर नहीं किया जा सकता है।
बच्चे की कस्टडी पर विवाद
अंजू देवी के वकील कुमार दुष्यंत सिंह ने तर्क दिया कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निकिता ने बच्चे का पता छिपाकर रखा है। वहीं, निकिता सिंघानिया के वकील ने अदालत को बताया कि बच्चा हरियाणा के फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है और उसे मां के साथ बेंगलुरु ले जाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे को देखे जाने के बाद उसकी मां निकिता सिंघानिया को कस्टडी सौंपने का फैसला किया। अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि “यह एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है। हमारी प्राथमिकता बच्चे की भलाई है।”
आपको बता दें कि 9 दिसंबर 2024 को बेंगलुरु में 34 वर्षीय अतुल सुभाष अपने घर में फांसी पर लटके पाए गए थे। उन्होंने एक लंबे सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। निकिता सिंघानिया और उनके परिवार के सदस्यों पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बच्चे की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, इस मामले से जुड़े अन्य कानूनी पहलुओं पर निचली अदालतों में कार्यवाही जारी रहेगी।