युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित कर उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) अटारी, पटना जोन की मेजबानी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन बुधवार को आईसीएआर के कृषि प्रसार उप महानिदेशक डॉ. यू.एस. गौतम और बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने संयुक्त रूप से किया।
आर्या परियोजना पर केंद्रित चर्चा
कार्यशाला में आईसीएआर की “Attracting and Retaining Youth in Agriculture” (आर्या) परियोजना पर विशेष चर्चा की गई। डॉ. यू.एस. गौतम ने बताया कि 2016 में शुरू हुई इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि और संबद्ध व्यवसायों से जोड़कर उन्हें गांवों में ही आमदनी के अवसर उपलब्ध कराना है, ताकि वे शहरों की ओर पलायन न करें। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) युवाओं को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान कर रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्रों की बढ़ती भूमिका
डॉ. गौतम ने बताया कि बदलते जलवायु के बीच किसानों के लिए मल्टी लेयर इनकम जनरेशन सिस्टम तैयार करना कृषि विज्ञान केंद्रों की नई चुनौती है। इसके अलावा, केंद्रों के खाली पदों को भरने और उनकी जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए नई नीति बनाई जा रही है।
पशुपालन और मत्स्य पालन पर जोर
कार्यशाला में बिहार की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि कृषि जीडीपी में 30% योगदान पशुपालन और मत्स्य पालन का है। बिहार में डेयरी क्षेत्र में अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य में प्रतिदिन 50 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने एग्रीप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने और युवाओं को सही दिशा, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
विशेषज्ञों की भागीदारी
कार्यशाला में देशभर के 100 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। आईसीएआर अटारी, पटना जोन के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने स्वागत संबोधन किया, जबकि मंच संचालन कृषि विशेषज्ञ राकेश कश्यप ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आईसीएआर, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केशव ने दिया। इस मौके पर आईसीएआर कृषि प्रसार के सहायक महानिदेशक डॉ. आर.के. सिंह, आईसीएआर पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास, और अन्य प्रमुख वैज्ञानिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।