कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में स्नान को लेकर दिए अपने बयान के चलते विवादों में घिर गए हैं। उनके खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) की अदालत में एक परिवाद दर्ज किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 फरवरी 2025 को होगी। मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298, 302 और 352 के तहत परिवाद दायर किया है। ओझा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जानबूझकर सनातनी हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और अपनी राजनीतिक छवि को चमकाने के लिए कुंभ स्नान को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की।
ओझा ने कहा कि “कुंभ स्नान हिंदू धर्म की गहरी आस्था से जुड़ा है। खरगे का यह बयान न केवल अपमानजनक है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाला है।” मध्य प्रदेश के मऊ में एक रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं पर निशाना साधते हुए कुंभ स्नान पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “गंगा में स्नान करने से गरीबी दूर होती है क्या? भूखे पेट को रोटी मिलती है क्या?” खरगे ने यह भी कहा था कि बीजेपी नेताओं के बीच गंगा में डुबकी लगाने को लेकर होड़ मची हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए विवादास्पद टिप्पणी की। इसमें खरगे ने कहा कि “आप लोगों ने इतना पाप किया है कि सात जन्म क्या, सौ जन्म में भी स्वर्ग नहीं जा सकते।”
हालांकि, अपने बयान पर सफाई देते हुए खरगे ने कहा कि “मैं किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता। अगर किसी को दुख हुआ है, तो मैं माफी मांगता हूं।” इसके बावजूद, उनके बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में बड़ी बहस छेड़ दी है। बीजेपी ने खरगे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इसे हिंदुओं की आस्था पर हमला बताया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही सनातनी परंपराओं और धर्म को बदनाम करने की कोशिश करती रही है।
मुजफ्फरपुर कोर्ट ने इस मामले को स्वीकार करते हुए 3 फरवरी 2025 की तारीख तय की है। यह मामला धार्मिक भावनाओं के अपमान और राजनीतिक बयानबाजी के बीच संतुलन की बहस को फिर से उजागर कर रहा है।