आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यमुना नदी में जहर घोलने और सामूहिक नरसंहार के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने गंभीर रुख अपनाया है। आयोग ने केजरीवाल को निर्देश दिया है कि वे अपने दावों को तथ्यों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर प्रमाणित करें।
चुनाव आयोग ने अपने बयान में विभिन्न न्यायिक घोषणाओं और कानूनी प्रावधानों का हवाला दिया है, जिसके तहत राष्ट्रीय एकता और सार्वजनिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाले शरारती बयानों के लिए तीन साल तक की कैद हो सकती है। आयोग का कहना है कि इस तरह के आरोपों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय समूहों और पड़ोसी राज्यों के निवासियों के बीच तनाव पैदा हो सकता है। इसके अलावा, जल संकट के इस मौसम में पानी की वास्तविक या कथित कमी से कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ सकती है।
आयोग ने केजरीवाल को निर्देश दिया है कि वे अपनी शिकायतों और बयानों को लेकर तथ्यात्मक और कानूनी प्रमाण 29 जनवरी 2025 को रात 8 बजे तक प्रस्तुत करें, ताकि मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जा सके।