पिछले कुछ सालों से बिहार की राजनीति काफी अस्थिर रही है। हर साल सरकार पलटने की संभावना बनी रहती है। इस बीच आपदा में अवसर का फायदा असल मायने में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी ने ही उठाया है। दोनों ने ही समय की नजाकत को समझते हुए अपने-अपने हिसाब से दल चुना और खुद को ऐसी मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर लिया है जहां NDA और UPA इन दो नेताओं पर काफी निर्भर हो गई है।
वहीं अब दोनों ही नेता बिहार में चल रहे इस क्राइसिस का पूरी तरह से फायदा उठाना चाहते हैं। एक तरफ जहां मुकेश सहनी तेजस्वी को यह भरोसा दिलाने पर जुट गए हैं कि उन्हें अगर 40 सीट मिली तो वो विधानसभा चुनाव में महागठबंधन दल को जीत की राह पर ले जायेंगे। तो वही जीतन राम मांझी एनडीए से अपने हक की 20 सीटों की डिमांड कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर हमारे हिस्से में चार रोटी आई है तो हम एक में खुश क्यों हो।
इस विषय पर राजनीतिक विशेषज्ञों का यह कहना है कि मांझी और सहनी दोनों ही क्राइसिस लीडर के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं दोनों 2025 के विधानसभा चुनाव में खुद को और अपनी पार्टी को एक मजबूत पायदान पर खड़ा करने के लिए पुरजोर मेहनत कर रहे हैं ऐसे में इन दो नेताओं के लिए भी इस बार का विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।