सारण जिले में फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत होने जा रही है। इस अभियान के तहत 37.92 लाख लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इसे सफल बनाने के लिए जिला मलेरिया कार्यालय में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने की।
डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि अभियान 10 फरवरी से 17 दिनों तक चलेगा। शुरूआती तीन दिनों तक विशेष बूथों पर दवा खिलाने की व्यवस्था होगी। इसके बाद 14 दिनों तक आशा कार्यकर्ता, स्वयंसेवक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगे।
शहरी क्षेत्रों में भी विशेष टीमों को तैनात किया जाएगा। अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ जीविका, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस और पंचायती राज विभाग की भी सहभागिता होगी।
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत दवा सेवन के लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, सरकारी कार्यालय, निजी व सरकारी विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, पीएचसी और सीएचसी में बूथ लगाए जाएंगे। खासतौर पर स्कूलों में लंच ब्रेक के बाद बच्चों को दवा खिलाई जाएगी, ताकि वे अपने परिवार को भी इस अभियान के बारे में जागरूक कर सकें।
इस बार सरकार ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत तीन दवाएं दे रही है:
- डीईसी (Diethylcarbamazine)
- अल्बेंडाजोल (Albendazole)
- आइवरमेक्टिन (Ivermectin)
ट्रीपल ड्रग थेरेपी से फाइलेरिया उन्मूलन की उम्मीद बढ़ी है। फिलहाल मढ़ौरा और अमनौर प्रखंड में फाइलेरिया संक्रमण का स्तर 1% से नीचे आ गया है, इसलिए वहां दवा नहीं खिलाई जाएगी।
खाली पेट न खाएं दवा, इन नियमों का रखें ध्यान
- दवा खाली पेट नहीं खानी है, बल्कि कुछ खाने के बाद ही सेवन करें।
- दवा के बाद एक गिलास पानी पीना अनिवार्य है।
- अल्बेंडाजोल को चबाकर खाना होगा।
- गर्भवती महिलाएं, 2 साल से छोटे बच्चे और गंभीर रूप से बीमार लोग दवा नहीं लेंगे।
- आइवरमेक्टिन की खुराक व्यक्ति की लंबाई के आधार पर दी जाएगी।
सुक्रत्या ऐप से होगी निगरानी
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि सर्वजन दवा सेवन अभियान की मॉनिटरिंग “सुक्रत्या” मोबाइल ऐप के माध्यम से होगी। प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम भी बनाई गई है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखे तो तुरंत कार्रवाई की जा सके।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने कहा कि “फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है, जो हो जाने के बाद जीवनभर नहीं ठीक होती। इससे बचने के लिए दवा खाना ही सबसे बेहतर विकल्प है। सभी लोग खुद भी दवा खाएं और अपने परिवार के हर सदस्य को भी खिलाएं, ताकि सारण को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके।”