दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को पटखनी देने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार और इंडिया अलायंस को लेकर बड़ी सियासी रणनीति का संकेत दिया है। बीजेपी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और इंडिया अलायंस की रणनीतियों को कठघरे में खड़ा किया।
बिहार और पूर्वांचल को साधने की कोशिश
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पूर्वांचल को लेकर गर्व जताया। उन्होंने कहा, “मैं जहां भी गया, गर्व से कहता हूं कि मैं पूर्वांचल से सांसद हूं।” यह बयान न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के मतदाताओं को भी साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में एनडीए सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाया गया है।
कांग्रेस पर तीखा हमला
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को “परजीवी पार्टी” बताते हुए कहा कि यह न केवल खुद डूबती है, बल्कि अपने साथियों को भी ले डूबती है। उन्होंने कहा, “जो भी कांग्रेस का हाथ थामता है, उसका बंटाधार हो जाता है। कांग्रेस ने दिल्ली में डबल जीरो की हैट्रिक लगाई है।” पीएम मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस का डीएनए अब “अर्बन नक्सल” से प्रभावित हो गया है।
इंडिया अलायंस के लिए संदेश
इंडिया अलायंस को निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह गठबंधन न केवल कमजोर है, बल्कि इसके भीतर के दल भी कांग्रेस की नीतियों को समझने लगे हैं। उन्होंने कहा, “इंडिया अलायंस के दल समझ चुके हैं कि कांग्रेस उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।”
यूपी और बिहार की सरकारों की प्रशंसा
पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश और बिहार की एनडीए सरकारों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है, जबकि बिहार में विकास कार्यों ने राज्य को नई दिशा दी है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों का संकेत देता है। बिहार में एनडीए को मजबूत करने और विपक्ष को कमजोर करने के लिए यह एक रणनीतिक बयान माना जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान बिहार और पूर्वांचल में एनडीए को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कांग्रेस और इंडिया अलायंस पर हमला कर पीएम मोदी ने यह संकेत दिया है कि 2024 का चुनाव विकास, सुशासन और विपक्ष की कमजोरियों पर आधारित नैरेटिव के इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा। अब देखना यह है कि बिहार और अन्य राज्यों के मतदाता इस रणनीति को किस तरह से स्वीकार करते हैं।