संसद में केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कई अहम मुद्दों पर सरकार से सवाल किये। उन्होंने धार्मिक संस्थानों में जमा धन, बाबाओं की संपत्ति, बिहार के विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्च और मस्जिदों में जमा बड़ी धनराशि का मुद्दा उठाते हुए सवाल पूछा। सांसद पप्पू यादव ने कहा कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जैसी धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति का मूल्यांकन नहीं होता। अकेले मंदिरों में ही 3.5 से 4 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इसके अलावा गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की संपत्ति का भी कोई हिसाब नहीं है।
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पप्पू यादव ने सवाल किया कि क्या वित्त मंत्री इन पर नज़र नहीं रखते? दो दिन मुफ़्त खाना खिलाकर क्या इन्हें पैसा रखने की आज़ादी दे दी जाती है?बाबाओं की बढ़ती संपत्ति पर भी पप्पू यादव ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ बाबाओं के पास हज़ारों करोड़ की संपत्ति है। यह पैसा कहां से आता है और कहां जाता है, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। कई बाबाओं ने NGO के ज़रिए बड़ी रकम इकट्ठा की है। लेकिन NGO पर टैक्स नहीं लगता और सरकार का उन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
किसानों और शिक्षा प्रणाली को लेकर चिंता
सांसद पप्पू यादव ने सबसे पहले किसानों की दुर्दशा पर बात की, खासकर उनकी आत्महत्याओं और आंदोलनों के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि देश में बार-बार परीक्षा पेपर लीक होने की घटनाएँ सामने आ रही हैं, जिससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। साथ ही, उन्होंने बच्चों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उन पर दर्ज किए जा रहे मुकदमों पर भी सवाल खड़े किए।
बिहार के विकास के लिए पप्पू यादव ने दिए सुझाव
बिहार के विकास को लेकर भी उन्होंने कई सुझाव दिए। उन्होंने राज्य में मखाने के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की बात कही, क्योंकि बिहार दुनिया में सबसे अधिक मखाने का उत्पादन करता है, लेकिन सही प्रसंस्करण सुविधाओं के अभाव में इसका उचित लाभ नहीं मिल पाता। इसके अलावा, उन्होंने कोसी नदी पर बांध बनाने और सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने की भी मांग रखी।