बिहार की राजनीति में एक बड़ा सियासी मोड़ आता दिख रहा है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान का एक पक्ष यह है कि पशुपति पारस अपने ऐलान को मजबूती से लागू कर सके तो यह फैसला न केवल एनडीए और महागठबंधन के लिए एक नई चुनौती बन सकता है, बल्कि बिहार के दलित वोट बैंक को लेकर भी राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
RLJP की चुनावी रणनीति: हर बूथ तक संगठन और दलित सशक्तिकरण
पशुपति कुमार पारस ने साफ कहा कि उनकी पार्टी हर बूथ पर अपना संगठन खड़ा करेगी और चुनावी तैयारी बूथ लेवल ऑफिसर्स की नियुक्ति के जरिए की जाएगी। पार्टी दलितों के मुद्दों को प्रमुखता देने जा रही है और इस उद्देश्य से अप्रैल 2025 तक बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करेगी।
14 अप्रैल को पटना में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े पैमाने पर मनाने की योजना बनाई गई है, जिसमें पूरे बिहार से दलित सेना के कार्यकर्ता जुटेंगे। यह आयोजन RLJP के दलित सशक्तिकरण एजेंडे को उजागर करने का मंच बनेगा।
एनडीए से अलग राह, पर महागठबंधन में भी एंट्री नहीं
2024 लोकसभा चुनाव से पहले RLJP एनडीए का हिस्सा थी और पशुपति कुमार पारस मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। लेकिन लोकसभा चुनाव में RLJP को कोई सीट नहीं मिली, जिससे एनडीए और पारस के रिश्तों में खटास आ गई। दूसरी ओर, चिराग पासवान पूरी तरह से एनडीए में शामिल हो गए, जबकि पारस अलग हो गए। अब पारस का दावा बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ने का है, जिसका मतलब एनडीए और महागठबंधन से समान दूरी का है।
क्या RLJP महागठबंधन का हिस्सा बनेगी?
जनवरी में पटना में मकर संक्रांति भोज के दौरान पशुपति पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को आमंत्रित किया था। लालू यादव अपने बेटे तेज प्रताप यादव के साथ पारस के आवास पहुंचे थे, जिसके बाद RLJP के महागठबंधन में जाने की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, पारस ने यह भी संकेत दिया कि गठबंधन पर अंतिम फैसला चुनाव के नजदीक लिया जाएगा।
RLJP का अलग चुनाव लड़ने का फैसला: किसे होगा नुकसान?
पशुपति पारस का सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।
- एनडीए के लिए झटका: लोकसभा चुनाव में RLJP को सीट न देने के बाद दलित वोटों का एक हिस्सा एनडीए से खिसक सकता है।
- महागठबंधन का गणित: अगर RLJP महागठबंधन में शामिल नहीं होती, तो राजद को भी दलित वोटों में बंटवारा झेलना पड़ सकता है।
- चिराग पासवान के लिए चुनौती: दलित वोटों पर चिराग पासवान और RLJP के बीच सीधी टक्कर होगी, जिससे पासवान परिवार की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है।