अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) की वित्तीय सहायता देने पर सवाल उठाए हैं, जिसे ट्रंप प्रशासन के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने रद्द कर दिया है। यह फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के उद्देश्य से जारी किया गया था, लेकिन अब ट्रंप ने इसे अनुचित बताते हुए आलोचना की है।
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16 फरवरी को DOGE ने कई विदेशी सहायता कार्यक्रमों को रद्द करने का ऐलान किया, जिसमें भारत के वोटर टर्नआउट प्रोजेक्ट को सबसे प्रमुख बताया गया। इस रद्दीकरण के बाद, DOGE ने एक पोस्ट में कहा, “अमेरिकी टैक्सपेयर्स के डॉलर अब इन अनावश्यक और अत्यधिक खर्चों पर नहीं लगाए जाएंगे।” इसके अलावा, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के लिए भी सहायता रद्द की गई थी, जिनमें बांग्लादेश के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल के लिए 39 मिलियन डॉलर का अनुदान शामिल था।
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इस विवाद ने और भी तूल तब पकड़ा जब ट्रंप ने भारत को यह राशि देने पर सवाल उठाए। फ्लोरिडा स्थित अपने मार-ए-लागो निवास से ट्रंप ने कहा, “हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास तो पहले से ही बहुत पैसा है। वे दुनिया के सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासकर हमारे लिए। भारत के साथ व्यापार में उनकी उच्च टैरिफ नीतियां हमें कड़ी चुनौती देती हैं, और हम वहां मुश्किल से पहुंच पाते हैं।”
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ट्रंप ने अपने बयान में आगे कहा, “भारत और उसके प्रधानमंत्री का मैं बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए इतने पैसे क्यों दिए जा रहे हैं? क्या हमारे यहां वोटर टर्नआउट का सवाल नहीं है?” इस बीच, अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे की रक्षा करने के लिए उठाया गया है और उन अनावश्यक खर्चों को रोका गया है जो अन्य देशों में अमेरिकी सहायता के रूप में दिए जा रहे थे।
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भारत को दी जाने वाली इस राशि को रद्द करने का निर्णय अमेरिकी प्रशासन की तरफ से विदेशी सहायता नीति में बदलाव का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, इस निर्णय के बाद भारत में विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया भी सामने आ सकती है, क्योंकि यह विवाद दो देशों के रिश्तों और सहयोग पर असर डाल सकता है। साथ ही, भारत में इस फैसले पर प्रतिक्रिया में अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।