बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक और बड़ा बयान दिया, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। तेजस्वी ने आगामी विधानसभा चुनावों में ईवीएम के खिलाफ अपने तीखे रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि केंद्र में उनकी सरकार बनती है, तो सबसे पहली चीज जो वह करेंगे, वह EVM को हटाना होगा।
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उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग विपक्ष के प्रश्नों, शंकाओं और शिकायतों का समाधान करने में पूरी तरह से विफल रहा है। उनका कहना था कि चुनाव आयोग अब न केवल एक निष्पक्ष रेफरी और अंपायर की भूमिका में नहीं है, बल्कि वह भाजपा का चीयर-लीडर बन चुका है।
तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम का उदाहरण देते हुए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा कि उस दिन आयोग ने एक दिन में तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और मतगणना को पांच घंटों तक रुकवाया था। रात के दो बजे तक परिणाम की घोषणा की गई थी। उनके अनुसार, चुनावी प्रक्रिया में इस तरह की अनियमितताएँ जनता के बीच संदेह को जन्म देती हैं, खासकर ईवीएम के प्रति।
बिहार में अपराध का मुद्दा भी उठाया
तेजस्वी ने सोशल मीडिया के जरिए बिहार में जनवरी 2025 में घटित 137 आपराधिक घटनाओं की सूची जारी करते हुए सरकार पर निशाना साधा। उनका आरोप था कि राज्य में अपराध की घटनाओं पर सरकार पूरी तरह से बेसुध है और सरकार की लचर नीति के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पांच पार्टियों के गठबंधन के बावजूद शासन की स्थिति सबसे खराब है, और कानून-व्यवस्था का पूरी तरह से पतन हो चुका है।
तेजप्रताप का भी आरोप: अपराध पर सरकार की घेराबंदी
तेजस्वी के बयान के बाद उनके बड़े भाई और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी सोशल मीडिया पर 82 आपराधिक घटनाओं की सूची जारी की। तेजप्रताप ने भी राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है और राज्य की जनता अपनी सुरक्षा के लिए परेशान है।