बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट तेज़ हो चुकी है और इसी के साथ राजनीतिक दलों की तैयारियां भी जोर पकड़ रही हैं। कांग्रेस, जो राज्य में अपनी खोई हुई ज़मीन तलाश रही है, अब एक आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में, पार्टी ने युवा और तेज़-तर्रार नेता कृष्णा अल्लावरू को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त कर एक बड़ा दांव खेला है।
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पटना पहुंचते ही ‘एक्शन मोड’ में अल्लावरू
नए प्रभारी का स्वागत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में हुआ, जहां प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। लेकिन, स्वागत समारोह से ज्यादा सुर्खियां बटोरीं अल्लावरू के कड़े तेवरों ने। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब कांग्रेस में गुटबाजी नहीं चलेगी।अल्लावरू ने साफ कहा कि “जो पार्टी में गुटबाजी करेगा, उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा!”
‘संघर्ष करो, तभी मिलेगा टिकट’ – अल्लावरू का बड़ा ऐलान
बिहार कांग्रेस के लिए इस बार टिकट बंटवारे की रणनीति भी बदली जा रही है। अल्लावरू ने दो टूक कह दिया कि “जो लड़ेगा और संघर्ष करेगा, वही टिकट पाएगा!” यानी अब केवल वरिष्ठता और सिफारिश से टिकट नहीं मिलेगा, बल्कि ग्राउंड पर सक्रिय नेताओं को ही मौका दिया जाएगा।
बिहार में कांग्रेस की ‘संजीवनी’ बनेंगे अल्लावरू?
कृष्णा अल्लावरू की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है जब बिहार कांग्रेस संगठनात्मक संकट से जूझ रही है। पार्टी की कमज़ोरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कई वर्षों से कांग्रेस किसी बड़े राजनीतिक लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाने में असफल रही है।
लेकिन अल्लावरू की रणनीति कुछ और ही इशारा कर रही है। वे युवा नेताओं को मौका देने के पक्षधर हैं, जिससे पार्टी में नई ऊर्जा आएगी। साथ ही ग्रासरूट लेवल पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की उनकी योजना, कांग्रेस की जमीनी पकड़ को मज़बूत कर सकती है। वहीं गुटबाजी खत्म करने की सख्त नीति, पार्टी में अनुशासन और एकता ला सकती है।
वैसे बिहार में कांग्रेस की राह आसान नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी जिस संकट से गुजर रही है, उसका असर राज्यों में भी दिख रहा है। राजद के साथ गठबंधन, गठबंधन के अंदर तालमेल की कमी, लोकल लीडरशिप की आपसी खींचतान जैसी कई चुनौतियां हैं, जिनसे कांग्रेस को जूझना होगा।