एच.आई.वी/एड्स के उपचार में एक ऐतिहासिक प्रगति के संकेत मिले हैं। पटना के वरिष्ठ चिकित्सक एवं ’’पहल’’ के चिकित्सा निदेशक डॉ0 दिवाकर तेजस्वी ने हाल ही में अहमदाबाद में आयोजित “एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया” (ASI) के वार्षिक सम्मेलन से लौटने के उपरांत बताया कि “लेनाकापाविर (Lenacapavir)” नामक नई दवा जो हर 6 महीने में एक बार इंजेक्शन के रूप में दी जाती है, विदेशों में एच.आई.वी संक्रमण के नियंत्रण में अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है।
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डॉ0 तेजस्वी ने बताया कि लेनाकापाविर का विकास ऐसे मरीजों के लिए किया गया है, जो अब तक दैनिक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के तहत रोज़ दवाइयाँ लेने में कठिनाई महसूस करते थे। इस नई तकनीक से अब मरीजों को हर दिन दवाइयाँ खाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। केवल छः महीने में एक इंजेक्शन पर्याप्त होगा, जो एच.आई.वी के वायरल लोड को नियंत्रित रखते हुए संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद करेगा। लेनाकापाविर के उपलब्धिता से एच.आई.वी प्रबंधन में एक नई क्रांति शुरू हो रही है। यह दवा मरीजों के लिए ईलाज को सरल बनाएगी और उनकी जीवनशैली पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम करेगी। लंबे समय तक असरदार इस इंजेक्शन से न केवल संक्रमण का फैलाव रोका जा सकेगा, बल्कि मरीजों के मानसिक बोझ में भी कमी आएगी।
लेनाकापाविर इंजेक्शन के मुख्य लाभ:-
- लंबे समय तक असरदार, केवल 6 महीने में एक सुई पर्याप्त।
- उच्च पालन दर (Adherence)- मरीजों को रोज़ाना दवाइयाँ भूलने का खतरा समाप्त।
- वायरल लोड नियंत्रण- संक्रमण के प्रसार को यू-यू (Undetectable= Untransmittable) के अनुरूप नियंत्रित करता है।
- जीवन गुणवत्ता में सुधार- इलाज की जटिलता कम, मरीजों में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
‘एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के सम्मेलन’ में लेनाकापाविर पर हुए नवीनतम वैश्विक शोधों का जिक्र करते हुए डॉ0 तेजस्वी ने बताया कि क्लिनिकल ट्रायल्स में इस दवा ने उच्च प्रभावशीलता दिखाई है, जिससे एच.आई.वी पॉजिटिव मरीजों के लिए यह एक सशक्त और भरोसेमंद विकल्प बन रही है। डॉ0 तेजस्वी ने बताया कि लेनाकापाविर के प्रयोग से समाज में एचआईवी के प्रति भ्रम और कलंक कम होगा, क्योंकि अब मरीजों के लिए इलाज गोपनीय, सरल और अधिक प्रभावी होगा।
यू-यू सिद्धांत को मिलेगा बल
लेनाकापाविर की मदद से मरीजों का वायरल लोड अशोधित (Undetectable) स्तर पर पहुंच जाएगा, जिससे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अन्य को संक्रमण नहीं फैला पाएगा।
डॉ0 दिवाकर तेजस्वी का संदेश
इस दवा को भारत में जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि- नियमित जांच और जागरूकता एचआईवी नियंत्रण की कुंजी है, लेनाकापाविर जैसी दवाइयाँ एड्स मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक बनेंगी तथा समाज को एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और सहयोग का भाव रखना चाहिए।