आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है, यानी देवाधिदेव महादेव की आराधना का शुभ दिन। पूरे देश में शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है, लेकिन अगर आप बिहार की राजधानी पटना के पास हैं, तो इस पर्व का आध्यात्मिक अनुभव और भी विशेष हो सकता है। पटना के करीब तीन प्राचीन शिवालय ऐसे हैं, जिनका संबंध सतयुग, त्रेता और द्वापर युग से माना जाता है। ये तीनों मंदिर राजधानी से मात्र 35 किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं और तीन अलग-अलग दिशाओं में शिव-भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं।
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उत्तर: हरिहरनाथ मंदिर, सोनपुर – जहां शिव और विष्णु एक साथ
पटना के उत्तर दिशा में सोनपुर स्थित हरिहरनाथ मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शंकर और विष्णु एक साथ विराजमान हैं। यही कारण है कि इस स्थान को हरिहरनाथ कहा जाता है। यह मंदिर शैव और वैष्णव संप्रदाय की एकता का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में भगवान श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र और लक्ष्मण के साथ जनकपुर जाते समय यहां पूजा-अर्चना की थी। इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण में भी मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को सिद्ध करता है।
पूर्व: बैकटपुर गौरीशंकर मंदिर – शिव और शक्ति का अद्भुत संगम
पटना के पूर्व दिशा में खुसरूपुर के पास बैकटपुर गांव में स्थित गौरीशंकर मंदिर एक अनोखी विशेषता रखता है। यहां स्थापित शिवलिंग पर स्वयं माता पार्वती और 108 रुद्र विराजमान हैं। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी, जबकि द्वापर युग में मगध सम्राट जरासंध प्रतिदिन राजगीर से आकर यहां पूजन करते थे। मंदिर का वर्तमान स्वरूप अकबर के सेनापति राजा मानसिंह द्वारा बनवाया गया था, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।
पश्चिम: बाबा बिहटेश्वर नाथ मंदिर, बिहटा – चतुर्मुखी शिवलिंग का दुर्लभ स्वरूप
पटना के पश्चिम दिशा में स्थित बिहटा का बिहटेश्वर नाथ मंदिर महादेव के दुर्लभ चतुर्मुखी शिवलिंगों में से एक है। देश में केवल चार ऐसे चतुर्मुखी शिवलिंग हैं, और यह मंदिर उन्हीं में से एक है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने वनवास के दौरान इस स्थान पर ठहरकर शिव की आराधना की थी। द्वापर युग में महाराजा वानभट्ट ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी संरचना भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
शिव की नगरी में आस्था की त्रिवेणी
पटना के ये तीन प्राचीन शिवालय तीनों युगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और तीन दिशाओं में स्थित हैं—उत्तर में हरिहरनाथ, पूरब में गौरीशंकर और पश्चिम में बिहटेश्वर नाथ। यह संयोग ही है कि एक ही शहर के निकट सतयुग, त्रेता और द्वापर युग से जुड़े शिवधाम मौजूद हैं, जो बिहार को शिवमय बनाने का प्रमाण हैं।
महाशिवरात्रि पर विशेष
आज महाशिवरात्रि के दिन इन मंदिरों में भव्य अनुष्ठान और रुद्राभिषेक हो रहे हैं। भक्तों का जनसैलाब उमड़ा हुआ है, घंटों की गूंज से माहौल शिवमय हो गया है। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन इन तीनों सिद्ध स्थलों पर पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।