प्रयागराज महाकुंभ 2025 में गंगा और यमुना की स्वच्छता के लिए आधुनिक तकनीकों का जो अनूठा प्रयोग हुआ, वह बिहार के लिए भी एक बेहद अहम सबक साबित हो सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर ट्रैश स्किमर्स और अन्य तकनीकों के जरिए प्रतिदिन 10 से 15 टन तैरता कचरा एकत्र कर पुनर्चक्रण के लिए भेजा गया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार सरकार इस मॉडल से कुछ सीख लेगी?
बिहार में गंगा की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। पटना, भागलपुर और अन्य जिलों में गंगा की धाराएं बंट रही हैं, गाद जमा होने से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है। नतीजतन, हर साल बाढ़ और कटाव की गंभीर समस्याएं सामने आती हैं। इसके बावजूद अब तक यहां कोई व्यापक सफाई या ड्रेजिंग अभियान देखने को नहीं मिला।
वहीं, प्रयागराज में महाकुंभ से पहले 2.5 किलोमीटर लंबी ड्रेजिंग कर गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल किया गया, जिससे न सिर्फ मेला क्षेत्र सुगम हुआ, बल्कि श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिली। बिहार के सिमरिया और पटना जैसे तटीय इलाकों में इसी तरह की पहल से गंगा की स्वच्छता को बरकरार रखा जा सकता है।
क्या बिहार भी अपनाएगा यह मॉडल?
बिहार के कई जिलों में गंगा किनारे बसे इलाकों में कटाव, प्रदूषण और गाद जमाव की गंभीर समस्या बनी हुई है। पटना में गंगा के बीच उगे टीलों के कारण नदी का प्रवाह कई धाराओं में बंट गया है, जिससे न सिर्फ बाढ़ की संभावना बढ़ी है, बल्कि जलमार्ग भी बाधित हो गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में भी प्रयागराज जैसी ड्रेजिंग और सफाई व्यवस्था लागू की जाए तो यह बड़ी राहत साबित हो सकती है। पटना के अलावा सिमरिया धाम में गंगा की सफाई और घाटों के पुनर्विकास के लिए एक ठोस योजना तैयार करने की जरूरत है।
क्या ‘सिमरिया कुंभ 2029’ के लिए होगी तैयारी?
बिहार के सिमरिया में भी वर्ष 2029 में पूर्ण कुंभ का आयोजन होने की संभावना है। अगर बिहार सरकार अभी से गंगा के प्रवाह को ठीक करने और घाटों की सफाई के लिए प्रयागराज मॉडल अपनाए, तो यह न सिर्फ कुंभ की सफलता के लिए बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी कारगर होगा।