प्रयागराज का महाकुंभ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। 26 फरवरी 2025 को इस आध्यात्मिक महासंगम का समापन हो गया, लेकिन इसके पीछे 45 दिनों की एक ऐसी यात्रा रही, जिसने इतिहास रच दिया। श्रद्धा, आस्था, सेवा और सुरक्षा के बेमिसाल संगम ने इस महाकुंभ को अब तक का सबसे भव्य और सुरक्षित बना दिया।
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उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस भव्य आयोजन को ‘सफलता की मिसाल’ बताते हुए कहा कि “हमारे साथियों ने बिना किसी शस्त्र के, केवल अपने व्यवहार से सभी का दिल जीता। पुलिस की पूरी क्षमता यहां परखी गई और सभी इस पर खरे उतरे। बिना किसी बड़ी घटना के हमने महाकुंभ संपन्न कराया।”
65 करोड़ श्रद्धालु, अद्भुत प्रबंधन!
45 दिनों तक चले इस धार्मिक आयोजन में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। यह संख्या न केवल भारतीय धार्मिक आयोजनों में एक नया कीर्तिमान है, बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक बन गया।
प्रशासन के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं था। इतनी भारी भीड़ को संभालना, व्यवस्था बनाए रखना और किसी भी अप्रिय घटना को रोकना एक बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसे यूपी पुलिस और प्रशासन ने बखूबी निभाया।
30 हजार खोए हुए लोगों को मिलाया उनके परिवारों से
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में अक्सर लोग अपने परिवारों से बिछड़ जाते हैं। इस बार भी ऐसा हुआ, लेकिन पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी के चलते 30,000 से अधिक खोए हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाया गया। यह न केवल पुलिस बल की तत्परता दिखाता है, बल्कि तकनीक और मानवीय संवेदनाओं के अद्भुत तालमेल का भी प्रमाण है।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि यह महाकुंभ पुलिस के लिए एक अग्निपरीक्षा था, जिसमें हर अधिकारी और जवान ने अनुशासन और कर्तव्यपरायणता की मिसाल पेश की।