प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुंदर नर्सरी, नई दिल्ली में भव्य सूफी संगीत महोत्सव ‘जहान-ए-खुसरो 2025’ में भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूफी संगीत का लुत्फ़ उठाया और सभा को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि रमजान का मुबारक महीना भी शुरू होने वाला है, मैं आप सभी को और सभी देशवासियों को रमजान की भी मुबारकबाद देता हूं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे मौके देश की कला संस्कृति के लिए तो जरूरी होते ही है, साथ ही इनसे एक सुकून भी मिलता है। जहान-ए-खुसरो का ये सिलसिला अपने 25 साल पूरा कर रहा है। इन 25 वर्षों में इस आयोजन का लोगों के जहन में जगह बना लेना अपनेआप में बड़ी कामयाबी है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जहान-ए-खुसरो में आकर मन खुश होना स्वाभाविक है। हजरत अमीर खुसरो जिस बसंत के दिवाने थे वो बसंत आज यहां दिल्ली के मौसम में ही नहीं बल्कि ‘जहान-ए-खुसरो’ के आबो हवा में घुला हुआ है। यहां महफिल में आने से पहले मुझे तह बाजार घूमने का मौका मिला।
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खास बात यह रही कि अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कई उर्दू शब्दों का इस्तेमाल किया है। जाहिर है सूफी कार्यक्रम में उर्दू शब्दों के इस्तेमाल होंगे ही। लेकिन बहस का मुद्दा ये है कि अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा में उर्दू को ‘कठमुल्ला की भाषा’ कहा था। इस पर काफी विवाद भी हुआ था। अब पीएम मोदी खुद उर्दू बोल रहे हैं।