बैंगलोर: देशभर में टैटू के प्रति दीवानगी लगातार बढ़ रही है, और बैंगलोर भी इससे अछूता नहीं है। आजकल लोग विभिन्न डिजाइनों और स्टाइल्स में टैटू (Tattoo) बनवा रहे हैं, और कुछ लोग तो इस हद तक टैटू के दीवाने हो चुके हैं कि उनके शरीर पर त्वचा से ज्यादा टैटू नजर आते हैं। हालांकि, यह ट्रेंड अब स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
शरीर पर स्थायी रूप से टैटू बनवाना एक बड़ा निर्णय होता है, और विशेषज्ञों का मानना है कि इसे बहुत सोच-समझकर किया जाना चाहिए। अब, राज्य सरकार टैटू प्रेमियों के लिए एक नया झटका देने की तैयारी में है। सरकार स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सड़क किनारे चलने वाले खुले टैटू पार्लरों पर सख्त कदम उठाने जा रही है। इन पार्लरों में साफ-सफाई और स्वच्छता का कोई ख्याल नहीं रखा जाता, जो खतरनाक संक्रमणों को फैलाने का कारण बन सकते हैं।
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स्वास्थ्य विभाग ने यह भी पाया कि ऐसे टैटू पार्लर एचआईवी, त्वचा कैंसर, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इन पार्लरों में सुरक्षा और स्वच्छता के अभाव में टैटू बनवाना जोखिमपूर्ण हो सकता है। अब सरकार इस समस्या से निपटने के लिए एक नया कानून लाने की योजना बना रही है, जो देश में अपनी तरह का पहला कदम होगा।
वहीं, हाल ही में बिंगहैमटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने टैटू स्याही में मौजूद खतरनाक रसायनों पर एक शोध प्रस्तुत किया है। इस शोध में पाया गया कि टैटू स्याही में ऐसे रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। टैटू स्याही में मौजूद ‘एज़ो डाई’ नामक तत्व, जब बैक्टीरिया या सूरज की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आता है, तो यह कैंसरकारी तत्व में बदल जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह स्याही धीरे-धीरे शरीर में घुलने लगती है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
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इस शोध में 56 प्रकार की टैटू स्याही का परीक्षण किया गया, जिसमें से 50% में कैंसरकारी रसायन पाए गए। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से कई स्याही की बोतलों पर इन खतरनाक रसायनों के बारे में कोई चेतावनी तक नहीं दी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि टैटू स्याही में मौजूद रंगद्रव्य धीरे-धीरे विघटित होते हैं, लेकिन यह शरीर में जाकर क्या प्रभाव डालते हैं, इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।