बिहार के शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रतिनियुक्ति (डेप्यूटेशन) की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्यभर के स्कूलों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति सिर्फ उन्हीं विद्यालयों में होगी, जहां एक भी शिक्षक मौजूद नहीं हैं। इस प्रक्रिया को पूरी तरह रैंडम सॉफ्टवेयर सिस्टम के जरिए संचालित किया जाएगा, जिससे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार, पक्षपात या सिफारिशी खेल पर पूरी तरह रोक लगेगी।
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DEO को मिली विशेष शक्तियां, अब नहीं चलेगा कोई दबाव!
शिक्षा विभाग के इस खास प्लान के तहत जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को अधिक शक्तियां दी गई हैं। अब वे अपने स्तर पर स्कूलों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति कर सकेंगे, लेकिन यह सिर्फ शिक्षकविहीन स्कूलों के लिए ही लागू होगा। यानी अब कोई भी शिक्षक अपनी मर्जी से ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं करा सकेगा और न किसी राजनीतिक दबाव में प्रतिनियुक्ति दी जाएगी।
कैसे होगी प्रतिनियुक्ति?
- स्टेप 1: पहले राज्यभर के शिक्षकों का ट्रांसफर और पोस्टिंग पूरा किया जाएगा।
- स्टेप 2: इसके बाद, जो स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन होंगे, उनकी सूची बनाई जाएगी।
- स्टेप 3: रैंडम सॉफ्टवेयर सिस्टम के जरिए ही शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति तय की जाएगी, ताकि किसी तरह की धांधली न हो।
गौरतलब है कि पहले शिक्षक अपनी पसंद के स्कूलों में प्रतिनियुक्ति करा लेते थे, जिससे जरूरतमंद स्कूल खाली रह जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
पुरानी प्रतिनियुक्तियों को किया गया खत्म, शिक्षकों की वापसी!
इस फैसले से पहले, कई स्कूलों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति मनमाने ढंग से की गई थी। इसे खत्म करने के लिए अपर मुख्य सचिव ने पहले ही आदेश जारी कर दिया था। नतीजतन, उन सभी शिक्षकों को अब अपने मूल विद्यालयों में लौटना पड़ा है।
बीमार शिक्षकों को भी मिली राहत
शिक्षा विभाग ने हाल ही में गंभीर बीमारियों (जैसे कैंसर) से पीड़ित शिक्षकों के लिए भी एक विशेष ट्रांसफर आदेश जारी किया है। इस नीति के तहत ऐसे 10 शिक्षकों को उनकी जरूरत के अनुसार नई तैनाती दी गई है।