रुस और यूक्रेन Russia and Ukraine में चल रहे युद्ध के कारण भारत पर विभिन तरीकों से प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। बात चाहे वित्तीय बाजारों, कच्चे तेल और आपूर्ति श्रृंखला हो सभी पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही तेल और गैस, रक्षा सहित कई भारतीय क्षेत्रों पर इसका प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।दरअसल रूस के साथ भारत के संबंध दोनों प्रमुख विषयों पर आधारित है। जिसमें पहला सैन्य और दूसरा व्यापार माना जाता है।
युद्ध के प्रभाव से चिंतित
बता दें कि भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में ही कहा है कि सरकार दोनों देशों के साथ भारत के व्यापार को लेकर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के प्रभाव के बारे में चिंतित है, साथ ही उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे का विस्तार और संक्षेप तरीके से अध्ययन किया जा रहा है। वहीं वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 के दौरान रूस के साथ भारत का व्यापार 8.1 बिलियन अमरीकी डालर तक था। भारत ने 2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर निर्यात किया था और रूस से 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का आयात किया था।
भारतीय सेक्टरों पर पड़ेगा असर
बताया जा रहा है कि रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण भारत के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव दिखेगा जिसमें ऊर्जा, ऑटो और रक्षा क्षेत्र शामिल है। दरअसल भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है और भारत लगातार रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति करता रहा है। मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने साल 2020 में रूसी कच्चे तेल के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। साथ ही कई सरकारी ऊर्जा कंपनियों ने रूसी तेल और गैस ब्लॉकों में निवेश किया है।
ऑटो उद्योग की सौर्सिंग
वहीं भारत के लिए ऑटोमोबाइल क्षेत्र भी रूस-यूक्रेन युद्ध और मास्को पर परिणामी प्रतिबंधों से प्रभावित होने कि आशंका है। बता दें कि ऑटो उद्योग की सौर्सिंग करने में रूस और यूक्रेन दोनों का अहम योगदान हैं, खास तौर पर से अर्धचालक निर्माण के लिए। साथ ही वह जरुरी गैसों और दुर्लभ धातुओं का निर्यात करता हैं।