मिथिलांचल में मां जानकी का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जैसे अयोध्या में राम मंदिर बना है, वैसे ही मिथिलांचल में माँ सीता का भव्य मंदिर बनेगा। इस घोषणा का विपक्ष ने विरोध किया है। विपक्ष के विरोध पर जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम बिहारवासी ‘जय सीता राम’ कहने वाले लोग हैं। हमारा मानना है कि जगत जननी माँ जानकी के बिना मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम अधूरे हैं। शक्ति, सेवा, समर्पण और सद्भाव से परिपूर्ण माँ जानकी का जीवन जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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माँ जानकी प्राकट्य स्थल पुनौरा धाम (सीतामढ़ी) में उनका बड़ा मंदिर बने, यह करोड़ों लोगों की हार्दिक इच्छा रही है। ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मिथिला में माँ जानकी के भव्य मंदिर की स्थापना की घोषणा से करोड़ों लोगों में खुशी है। हमें विश्वास है, इस कार्य से देश ही नहीं, दुनियाभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक मिथिला में आएंगे, जिससे क्षेत्र में पर्यटन से जुड़े रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर पैदा होंगे और प्रदेश के आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 2018 में ‘जानकी नवमी’ के शुभ अवसर पर खुद पुनौरा धाम गये थे और वहां पर्यटकीय सुविधाओं के विकास एवं सौंदर्यीकरण की कई योजनाओं का कार्यारंभ किया था। उन योजनाओं के लिए जमीन और बड़ी राशि राज्य सरकार द्वारा दी गई थी। साथ ही मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि पुनौरा धाम में पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाओं के विकास हेतु आगे भी जो जरूरी होगा, राज्य सरकार द्वारा कराया जायेगा। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने ‘जानकी नवमी’ पर राजकीय अवकाश की घोषणा कर इस पर्व को एक नई पहचान दी है। बिहार देश का पहला राज्य है, जहां ‘जानकी नवमी’ पर सार्वजनिक अवकाश की व्यवस्था की गई।
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अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में NDA की डबल इंजन की सरकार यदि बिहार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के नालंदा विश्वविद्यालय के गौरव की पुनर्स्थापना करने, विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू करने, मिथिला के केंद्र दरभंगा में एयरपोर्ट की स्थापना और एम्स का शिलान्यास करने, पटना स्थित पीएमसीएच को दुनिया के सबसे बड़े अस्पताल में बदलने, राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज, सभी प्रमंडलों में मेडिकल कॉलेज खोलने, पूरे राज्य को बड़े पैमाने पर सड़कों और पुल-पुलियों के निर्माण, अनेक उद्योगों एवं अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं की सौगात देने, बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान की योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ-साथ बड़े पैमाने पर सिंचाई सुविधा का सृजन करने, फूड प्रोसेसिंग इंस्टीट्यूट और मखाना बोर्ड के स्थापना की घोषणा करने आदि के बाद यदि माता सीता का भव्य मंदिर भी बनाना चाहती है, तो इसका दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर स्वागत किया जाना चाहिए था।
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इससे सीतामढ़ी ही नहीं, संपूर्ण मिथिला में पर्यटन से जुड़े रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर पैदा होंगे और क्षेत्र एवं राज्य के विकास को नई गति मिलेगी। लेकिन, अफसोस, उन दलों के नेताओं को इसमें भी परेशानी हो रही है, जिन्होंने अपनी सरकार के कार्यकाल में मिथिला के विकास की राह में रोड़े अटकाये थे, बिहार को ‘बीमारू राज्य’ बनाये रखा था और इसे धार्मिक दंगों, जातीय हिंसा तथा नरसंहार का वैश्विक केंद्र बना दिया था। मैं विपक्ष के साथियों से सादर अनुरोध करना चाहता हूं कि अपनी तुच्छ राजनीति के तहत प्रदेश के करोड़ों लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करना और उनका मजाक बनाना बंद कर दें।