पटना : बिहार की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पूछताछ के लिए तलब किया है। इस समन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। लालू यादव के समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है, तो वहीं उनके परिवार की प्रतिक्रिया भी जोरदार रही है।
लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने ट्वीट के जरिए इस कार्रवाई को प्रतिशोध करार दिया है। उन्होंने लिखा, “लालू जी ही बिहार के गरीबों, वंचितों और समाजवादी विचारधारा की सबसे मजबूत नींव हैं। पिछले 30 वर्षों से उनके परिवार को प्रताड़ना, षड्यंत्र और बदले की राजनीति का सामना करना पड़ा है, लेकिन वह हिमालय की तरह अडिग हैं और बिहार के लोगों, राजद समर्थकों – कार्यकर्ताओं व् सामाजिक न्याय – समाजवादी विचारधारा को मानने वालों के सर्वोच्च स्तंभ और कभी न डिगने वाली सबसे मजूबूत नींव हैं।”

उन्होंने आगे लिखा जाँच के नाम पर बार बार पूछ-ताछ का एकमात्र मकसद बेवजह प्रताड़ित करना है। अब तो ये जगजाहिर हो चुका है कि ईडी-सीबीआई दिल्ली की सत्ता पर काबिज पूंजीपतियों-सामंतवादियों-मनुवादियों की हिमायती सरकार की महज कठपुतली नहीं अपितु जेबी संस्थाएं हैं। पूछ-ताछ के लिए लालू जी-राबड़ी देवी जी व् परिवार के अन्य सदस्यों को बार-बार सम्मन भेजे जाने के पीछे क्या औचित्य है? अब ये किसी से छुपा नहीं है कि ऐसी तमाम कार्रवाईयां प्रतिशोध की पराकाष्ठा हैं।
पूछ-ताछ के अंतहीन सिलसिले व् स्वास्थ-संबंधी समस्याओं के बावजूद लालू जी व् परिजनों को बार-बार पूछ-ताछ के लिए बुलाने का मकसद जाँच-पड़ताल नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ प्रताड़ित करना। ऐसा क्या जानना है जो दर्जनों दफा की पूछताछ व् वर्षों-वर्ष के अनुसन्धान के बाद भी नहीं जान पाई है ईडी-सीबीआई? जवाब बिल्कुल स्पष्ट-सरल एवं सीधा है “निराधार मुक़दमे में जानने के लिए कुछ नहीं है। मकसद संविधान की रक्षा, संवैधानिक प्रावधानों की पुनर्बहाली व् देशहित के लिए संघर्षरत सबसे सशक्त आवाज, सबसे जुझारू जननेता को प्रताड़ित करना है।
लालू जी से फासीवादी जमात के डरने की वजह लालू जी की असीम लोकप्रियता, लालू जी का मजबूत-अभेद्य जनाधार व् लालू जी का बेहतरीन राजनीतिक कौशल है, राजनीतिक संघर्ष के माध्यम से लालू जी का मुकाबला कर पाना फासीवादी-विखंडनकारी ताकतों के वश की बात नहीं है और उनकी यही मजबूरी उन्हें अपनी जेबी संस्थाओं/एजेंसियों की मदद से लालू जी को प्रताड़ित करने को मजबूर करती है।
ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता में बने रहने के उन्माद-जूनून में फासीवादी ताकतें ये कतई न भूलें कि “लालू जी करोड़ों दिलों पर राज करते हैं, उनके भगवान हैं और अगर सत्ता प्रायोजित प्रताड़ना के कुप्रयासों के कारण सामाजिक न्याय के पुरोधा, देश में जम्हूरियत को बचाने के लिए कभी किसी के आगे नहीं झुकने वाले लालू जी के साथ कुछ भी ऊँच-नीच होता है, तो ऐसा देशव्यापी प्रतिकार होगा। जो कायरों की जमात से संभाले नहीं संभलेगा। जय लालू .. जय राजद .. जय बिहार.. जय हिंद ..