Rakesh Rao: उत्तर प्रदेश का चुनाव छह फेज में हो चुका है, सातवां फेज भी सात मार्च को पूरा हो जाएगा। उसके बाद 10 मार्च को रिजल्ट निकलेगा, जिसमें जनता का फैसला सबके सामने होगा। या तो भाजपा का गठबंधन एक बार फिर उत्तर प्रदेश को संभालेगा या विपक्ष के हाथ मौका लगेगा। पहली सूरत तो भाजपा के लिए टॉनिक का काम करेगी लेकिन उस स्थिति में विपक्ष की हालत और पतली हो जाएगी। क्योंकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम 11 या 12 राज्यों में चुनाव में भाजपा ही विपक्ष के लिए मुख्य खतरा रहेगी।
हार की चौकड़ी के बाद जीत का इंतजार
जैसे भाजपा के विपक्ष में खड़ी पार्टियों को उनका अस्तित्व बरकरार रखने के लिए उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का चुनाव जीतना जरूरी है, उसी प्रकार भाजपा के लिए भी यूपी चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं है। भाजपा की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर तो है ही, चुनावी राजनीति में पिछले कुछ सालों में भाजपा जिस अश्वमेघ के घोड़े पर सवार खुद को बता रही थी, वो पिछले दो साल में थकता दिखा है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में हार की चौकड़ी लगाने के बाद भाजपा मैदान में है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा को दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में तो भाजपा सत्ता में नहीं थी लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड तो भाजपा की झोली से बाहर निकल गए और उन्हें रोक पाने की हर कोशिश नाकाम हुई है।
विपक्ष अब हारा तो आगे की लड़ाई और मुश्किल
चुनाव जीते बिना यह कहना कि जनता उनके साथ है, सिर्फ टीवी की बहसों के लिए ही अच्छा हो सकता है। सच्चाई यह है कि राजनीति में जिंदा रहना है तो चुनाव लड़ना होगा और जीतना भी। विपक्ष के हाथों से बड़े राज्य फिसल रहे हैं। सरकार बनाने के बाद भी मध्यप्रदेश जैसा राज्य भाजपा ने विरोधियों से छीन लिया। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की भाजपा की तमाम कोशिशें नाकाम हुई हैं। परंपरागत समर्थक शिवसेना ने भी भाजपा का साथ छोड़ा है। इसके बावजूद विपक्ष की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। उत्तर प्रदेश सिर्फ 403 विधानसभा क्षेत्रों वाला प्रदेश ही नहीं है, बल्कि 80 लोकसभा की सीटें भी यहीं से आती हैं। विपक्ष अगर इस पर काबू नहीं कर सका तो 2024 के चुनाव के लिए न पर्याप्त बल मिलेगा और न ही आगे के विधानसभा चुनावों में जीत की ताकत।
इस साल दो और चुनाव
अभी पांच राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया 10 मार्च को रिजल्ट के साथ खत्म होगी। लेकिन चुनावी राजनीति इसके बाद और उफान पर होगी। क्योंकि बारी आएगी गुजरात के चुनाव की जो इसी साल दिसंबर में संभावित है। वहीं हिमाचल प्रदेश में भी नवंबर में चुनाव हो सकते हैं। दोनों जगह भाजपा ही सत्ता में है। इसके अलावा अगर जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए तो वह तीसरा राज्य हो जाएगा। बात 2023 की करें तो नौ राज्य चुनावी मैदान बनेंगे। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों के साथ छत्तीसगढ़, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है। ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जीत ही आने वाले दो सालों में 12 राज्यों का चुनाव लड़ने की ताकत दे सकता है।
(लेखक इनसाइडर लाइव के एडिटोरियल मैनेजर हैं.)