वक्फ़ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्म हो गई है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पेश किए जाने पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत विपक्ष में कई समूह हैं जो यह माहौल बनाना चाहते हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है। इस विधेयक पर अभी संसद में चर्चा होनी है। लेकिन, इसकी आशंका में इन राजनेताओं ने लोगों को गलत संदेश देना शुरू कर दिया है।
वहीं कल बिहार विधानसभा के बाहर विपक्षी विधायकों के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक दृष्टिकोण से किया जा रहा है। बिहार में चुनाव आने वाले हैं, इसलिए उन्हें मुसलमानों की याद आ रही है। मुझे मुस्लिम धार्मिक संगठनों से भी दिक्कत है, जो उन लोगों से सवाल नहीं कर रहे हैं जो मुसलमानों के हितैषी होने का दिखावा करते हैं, लेकिन मुसलमानों को लूटने और उनके वोट बैंक का शोषण करने के अलावा कुछ नहीं किया है।

इधर, पटना में बिहार विधानसभा परिसर में कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा कि बिलकुल वक्फ (संशोधन) विधेयक वापस लिया जाना चाहिए। वहीं आरजेडी विधायक मुकेश कुमार यादव ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 एक खास व्यक्ति और समुदाय के खिलाफ है। सरकार वक्फ संपत्तियों को कुछ उद्योगपतियों को सौंपना चाहती है। जैसे रेलवे और हवाई मार्गों का निजीकरण किया गया।

सरकार देश की सारी संपत्तियों को कुछ निजी संस्थानों को सौंपना चाहती है। आरजेडी और विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ हैं और अगर यह संसद में पारित हो जाता है, तो लालू यादव और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी इसे जमीनी स्तर पर लागू नहीं होने देगी। हम हर समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते हैं। इसलिए, हम चाहते हैं कि बिहार के 65% आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।