छत्तीसगढ़ : रायगढ़ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी के वर्जिनिटी टेस्ट की मांग की। हालांकि, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस याचिका को पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए सख्त रुख अपनाया और पति को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह महिला की गरिमा (Dignity of Women) और मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन है।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: महिला की गरिमा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने पति की याचिका को न केवल खारिज किया, बल्कि इस तरह की मांग को महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया। कोर्ट ने कहा कि “महिला की स्वतंत्रता और आत्मसम्मान से जुड़ी ऐसी किसी भी परीक्षा की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
शादी के कुछ महीनों बाद रिश्ते में आई दरार
यह मामला अप्रैल 2023 में शुरू हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, पति-पत्नी की शादी 2023 में हुई थी, और शुरुआत में दोनों के बीच रिश्ते अच्छे थे। लेकिन कुछ महीनों बाद दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे तकरार में बदल गई। रिश्ते में बढ़ती खटास के चलते दोनों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए, और मामला अलगाव तक पहुंच गया।
हाईकोर्ट के इस फैसले को महिला अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की मांगें न सिर्फ असंवैधानिक हैं, बल्कि महिलाओं के सम्मान और स्वतंत्रता के भी खिलाफ हैं।