नई दिल्ली : वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश में सियासी माहौल गर्म है। सरकार कल, 2 अप्रैल 2025 को दोपहर 12 बजे लोकसभा में यह विधेयक पेश करने जा रही है। इस बीच, विधेयक को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है, और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है।वक्फ संशोधन विधेयक को पहली बार 28 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करता है और इसमें कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं। इनमें वक्फ बोर्ड और काउंसिल की संरचना में बदलाव, वक्फ संपत्ति की पहचान के लिए बोर्ड की शक्तियों में संशोधन, और वक्फ गठन के मानदंडों को संशोधित करना शामिल है। विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था, जिसे अब तक 8 लाख याचिकाएं प्राप्त हो चुकी हैं, जो इस मुद्दे पर जनता और संस्थानों की गहरी रुचि को दर्शाता है।
ओवैसी का सरकार पर हमला
AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे “वक्फ बोर्ड को नष्ट करने” की साजिश करार दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार देता है। ओवैसी ने कहा, “इस विधेयक के जरिए सरकार मुस्लिम धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने का प्रावधान संविधान के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी अपनी हिंदुत्व की विचारधारा के तहत भारत को एक ऐसा देश बनाना चाहती है, जो विविधता में विश्वास न करे।
वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद
वक्फ संपत्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। कई समितियों ने वक्फ की स्थिति पर चिंता जताई है, जिसमें संपत्तियों पर अतिक्रमण, राजस्व की हानि, रखरखाव की कमी, और सर्वेक्षण में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं। 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर अतिक्रमण की परिभाषा को शामिल किया गया था और वक्फ बोर्डों पर अधिक निगरानी की व्यवस्था की गई थी। हालांकि, नया संशोधन विधेयक इन मुद्दों को और सख्ती से संबोधित करने का दावा करता है। शहरी मामलों के मंत्रालय का कहना है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुकदमों में कमी आएगी। उदाहरण के तौर पर, 1970 से 1977 के बीच नई दिल्ली में वक्फ बोर्ड ने 138 संपत्तियों पर दावा किया था, जो अभी भी विवादित हैं।
संसद में होगी तीखी बहस
कल लोकसभा में विधेयक पेश होने के साथ ही इस पर तीखी बहस की उम्मीद है। विपक्षी दलों, खासकर AIMIM और YSRCP जैसे दलों ने पहले ही इस विधेयक का विरोध किया है। YSRCP ने इसे NDA सरकार की एकतरफा नीति करार दिया है। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए जरूरी है।संसद के इस सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पर होने वाली चर्चा न केवल धार्मिक और कानूनी पहलुओं को उजागर करेगी, बल्कि देश में धार्मिक स्वायत्तता और सरकारी हस्तक्षेप के बीच संतुलन को लेकर भी एक बड़ी बहस छेड़ सकती है।