नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। शाह ने विपक्ष पर देश को धार्मिक आधार पर बांटने का आरोप लगाते हुए कहा, “आप (विपक्ष) इस देश को तोड़ दोगे।” उन्होंने सदन के माध्यम से देश के मुसलमानों को आश्वासन दिया कि वक्फ में किसी भी गैर-मुस्लिम की नियुक्ति नहीं होगी और इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
वक्फ बोर्ड और परिषद की भूमिका पर जोर
अमित शाह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को बेहतर करना है। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद का मुख्य काम उन लोगों को पकड़ना होगा जो वक्फ की संपत्तियों को अवैध रूप से बेच रहे हैं या लंबे समय के लिए पट्टे पर दे रहे हैं। शाह ने कहा, “वक्फ की आय लगातार गिर रही है, जिसके जरिए अल्पसंख्यकों के विकास और उन्हें आगे बढ़ाने का काम होना चाहिए। जो पैसा चोरी हो रहा है, उसे वक्फ बोर्ड और परिषद पकड़ने का काम करेंगे।”
विपक्ष ने जताई आपत्ति
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर कड़ा विरोध जताया। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि यह विधेयक देश को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश है। वहीं, डीएमके नेता ए. राजा ने कहा कि धर्म और राजनीति को अलग रखना चाहिए और दोनों को मिलाना ठीक नहीं है।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को अगस्त 2024 में पेश किया गया था। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसके तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने, वक्फ गठन के लिए सख्त मानदंड तय करने और संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए बेहतर निगरानी की व्यवस्था की बात कही गई है। हालांकि, इस विधेयक का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्षी दलों ने विरोध किया है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह मुस्लिम धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करेगा।
शाह ने दी सफाई
अमित शाह ने विपक्ष के उन दावों को खारिज किया, जिसमें कहा जा रहा था कि यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है। उन्होंने कहा, “वक्फ में कोई गैर-मुस्लिम नहीं होगा, इसे स्पष्ट रूप से समझ लें।” शाह ने यह भी कहा कि यह विधेयक केवल प्रशासनिक सुधार के लिए है, न कि धार्मिक मामलों में दखल देने के लिए। लोकसभा में इस विधेयक पर बहस अभी जारी है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए जरूरी है, जबकि विपक्ष इसे सांप्रदायिक आधार पर देख रहा है। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और गहमागहमी की संभावना है।