जम्मू : जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को उस समय हंगामा मच गया, जब वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर चर्चा के लिए लाए गए स्थगन प्रस्ताव को स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने खारिज कर दिया। स्पीकर ने नियम 58 का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती। उनके इस फैसले के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), कांग्रेस, पीडीपी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने जोरदार विरोध दर्ज किया, जिसके चलते सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एनसी विधायकों नजीर गुरेजी और तनवीर सादिक ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग की। इस अधिनियम को हाल ही में अप्रैल 2025 में लोकसभा में पारित किया गया था, जिसके बाद से यह विवादों में है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित करने की कोशिश है। इस बीच, पीडीपी नेता वहीद पारा ने एनसी के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार पर तीखा हमला बोला।
पारा ने कहा, “वक्फ संपत्तियों को सिर्फ संपत्ति के तौर पर देखना गलत है, यह आस्था का मामला है। सरकार इस मुद्दे पर समझौता कर रही है और बीजेपी की नीतियों को बढ़ावा दे रही है।” पारा ने एनसी पर “फिक्स्ड मैच” का आरोप भी लगाया। गौरतलब है कि अब्दुल रहीम राथर, जो एनसी के वरिष्ठ नेता हैं, नवंबर 2024 में विधानसभा स्पीकर चुने गए थे। यह पहली बार है जब मौजूदा बजट सत्र में सदन को स्थगित करना पड़ा है। 40 दिनों के इस बजट सत्र की शुरुआत छुट्टियों के बाद सोमवार को ही हुई थी। इस घटना ने एक बार फिर वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर राजनीतिक तनाव को उजागर कर दिया है।