कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता में उन शिक्षकों से मुलाकात की, जिन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अपनी नौकरियां गंवा दीं। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) द्वारा राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था। यह नियुक्ति प्रक्रिया 2016 की थी, जिसे “दागी” करार देते हुए कोर्ट ने इसे पूरी तरह से अवैध ठहराया था। ममता बनर्जी ने इस मुलाकात के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश करार दिया।
उन्होंने कहा, “शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने के लिए एक षड्यंत्र, एक परिकल्पना चल रही है। कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं के शिक्षक उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार हैं। इनमें से कई शिक्षक स्वर्ण पदक विजेता हैं, उन्होंने अपने जीवन में बहुत अच्छे परिणाम हासिल किए हैं, और आप उन्हें चोर कह रहे हैं? आप उन्हें अक्षम कह रहे हैं, आपको यह अधिकार किसने दिया? यह खेल कौन खेल रहा है?” मालूम हो कि पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन भर्ती घोटाला 2022 से सुर्खियों में है। इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) संयुक्त रूप से कर रहे हैं। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी हुई।
जांच में पता चला कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं, जिसमें OMR शीट्स के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल 2024 को इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया “दागी और अनसुलझे” तरीके से की गई थी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। ममता बनर्जी ने इस फैसले को व्यक्तिगत रूप से स्वीकार करने से इनकार कर दिया, हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी और नई भर्ती प्रक्रिया को लागू करेगी।
उन्होंने शिक्षकों का बचाव करते हुए कहा कि इनमें से कई ने अपने करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और उन्हें इस तरह अपमानित करना गलत है। मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि यह फैसला पश्चिम बंगाल को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने सवाल किया, “क्या बंगाल में पैदा होना अपराध है? अगर इतने सारे शिक्षक अपनी नौकरी खो देंगे, तो कक्षाओं में कौन पढ़ाएगा?” उन्होंने बताया कि प्रभावित शिक्षकों में से 11,000 से अधिक कक्षा 9 और 10 में पढ़ाते थे, जबकि 5,500 से अधिक कक्षा 11 और 12 के लिए जिम्मेदार थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों, खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और CPI(M), ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा।
विपक्ष का कहना है कि अगर राज्य सरकार ने शुरू से ही भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को अलग कर कार्रवाई की होती, तो इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों को नौकरी से हाथ नहीं धोना पड़ता। बताते चलें कि ममता बनर्जी ने संकेत दिए हैं कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए कानूनी विकल्प तलाश सकती है। साथ ही, उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि नई भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किया जाए, ताकि प्रभावित शिक्षकों को फिर से मौका मिल सके। इस घटनाक्रम ने पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था और राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है, और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी घटनाक्रम सामने आ सकते हैं।