नयी दिल्ली : दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर कलां मस्जिद को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। 14वीं सदी में बनी इस मस्जिद में हो रहे कथित अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है – मस्जिद की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा और कोई भी नया निर्माण फिलहाल पूरी तरह से रोक दिया गया है। यह ऐतिहासिक मस्जिद दक्षिण दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके में स्थित है, जिसे फिरोज़ शाह तुगलक के वज़ीर, खान-ए-जहान जुनान शाह ने बनवाया था। आज यह सैकड़ों साल पुरानी धरोहर अवैध कब्जे, निर्माण और तोड़फोड़ के चलते खतरे में बताई जा रही है।
जस्टिस मीनि पुष्कर्णा ने दिल्ली नगर निगम (MCD) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को 5 अप्रैल को मस्जिद का संयुक्त निरीक्षण करने और 15 अप्रैल तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मस्जिद परिसर में “यथास्थिति बनाए रखने” का सख्त आदेश दिया है – यानी कोई नया निर्माण या बदलाव नहीं होगा। वक्फ बोर्ड, एमसीडी, एएसआई और दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। स्थानीय निवासी आस मोहम्मद और मौनुद्दीन अहमद ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मस्जिद परिसर में अवैध रूप से रिहायशी इमारतें बनाई जा रही हैं। गुंबदों को कमरों में बदल दिया गया है।बाहरी क्षेत्र में बहुमंजिला निर्माण हो रहा है।
्मुरख्य प्रवेश द्वार तक पर अतिक्रमण हो चुका है। यह सब कुछ मदरसा और टॉयलेट निर्माण के नाम पर किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से अपील की है कि मस्जिद को तुरंत अतिक्रमणमुक्त किया जाए। इसके मूल स्वरूप को बहाल किया जाए। इसे प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल अधिनियम के तहत संरक्षित घोषित किया जाए ताकि इसका ऐतिहासिक महत्व सुरक्षित रहे। एमसीडी ने कोर्ट को बताया कि परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं, दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इसका खंडन करते हुए कहा कि कोई अवैध निर्माण नहीं हो रहा। अब सबकी निगाहें 15 अप्रैल की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां कोर्ट के समक्ष संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट पेश की जाएगी।