नई दिल्ली : 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाया जा रहा है। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जा रहे इस आतंकी को दिल्ली लाकर एनआईए कोर्ट में पेश किया जाएगा और फिर तिहाड़ जेल में रखा जाएगा, जहां उसके लिए हाई सिक्योरिटी वार्ड में विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस केस की पैरवी के लिए केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, वह एनआईए की विशेष अदालत में इस केस की पैरवी करेंगे। उनकी नियुक्ति तीन साल या मुकदमे की समाप्ति तक (जो भी पहले हो) प्रभावी रहेगी।
कौन हैं नरेंद्र मान?
नरेंद्र मान कोई साधारण वकील नहीं, बल्कि कानून के क्षेत्र में एक अनुभवी चेहरा हैं। उन्होंने सीबीआई के लिए भी कई हाई-प्रोफाइल केस लड़े हैं, जिनमें 2018 का एसएससी पेपर लीक घोटाला भी शामिल है। मान अपने मजबूत तर्कों, केस की बारीक समझ और कोर्ट में दमदार प्रस्तुतिकरण के लिए जाने जाते हैं। अब सरकार ने उन पर तहव्वुर राणा जैसे गंभीर आतंकी केस की ज़िम्मेदारी भी सौंप दी है, जो उनकी विशेषज्ञता और सरकार के भरोसे को दर्शाता है।
तहव्वुर राणा: लश्कर का मोहरा, कनाडा का नागरिक
तहव्वुर राणा कनाडा का नागरिक है, लेकिन पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता रहा है। उसने डेविड कोलमन हेडली के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रची थी। उसकी भारत वापसी का रास्ता आसान नहीं था — कई कानूनी पेंचों के बाद आखिरकार अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दी।
अब क्या होगा आगे?
भारत पहुंचते ही राणा का मेडिकल परीक्षण किया जाएगा, फिर एनआईए कोर्ट में पेशी के बाद उसे तिहाड़ जेल भेजा जाएगा। इस बीच, नरेंद्र मान की कानूनी अगुवाई में सरकार इस केस को मज़बूती से अदालत में लड़ेगी। यह मामला भारत की सुरक्षा, न्याय व्यवस्था और आतंक के खिलाफ कड़े रुख का प्रतीक बन चुका है। अब निगाहें कोर्ट की कार्यवाही और नरेंद्र मान की पैरवी पर टिकी होंगी।