बीजिंग – डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति ने चीन को न केवल आर्थिक मोर्चे पर झटका दिया है, बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी बीजिंग को अकेलापन झेलना पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ 125% तक बढ़ाए जाने के बाद चीन ने कई देशों से समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन नतीजा लगभग सन्नाटा रहा। अमेरिका के इस बड़े फैसले के बाद चीन ने कई देशों को साथ लाने की रणनीति अपनाई ताकि वॉशिंगटन पर दबाव बनाया जा सके। लेकिन भारत, ऑस्ट्रेलिया, और यहां तक कि उसके करीबी माने जाने वाले रूस ने भी खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। भारत ने तो सहयोग के न्योते को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
ट्रंप के तेवर और चीन की तिलमिलाहट
ट्रंप ने दुनिया के बाकी देशों पर लगे टैरिफ अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिए, लेकिन चीन पर शिकंजा और कस दिया। उन्होंने साफ कहा कि बाकी देश बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन चीन सिर्फ टकराव की भाषा समझ रहा है। जवाब में चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 84% तक का शुल्क लगा दिया, जो तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया। बीजिंग ने अमेरिका को “मक्कार” बताते हुए कहा है कि वह इस आर्थिक जंग में “अंत तक” लड़ेगा।
यूरोप से उम्मीदें, लेकिन भरोसा नहीं
अमेरिका से टकराव के बीच चीन ने अब यूरोपीय संघ की ओर रुख किया है। चीनी प्रधानमंत्री ली क्यांग और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच फोन पर बातचीत हुई, ताकि एकजुटता का संकेत दिया जा सके। मगर जानकारों का मानना है कि यूरोप भी फिलहाल संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है, और खुलकर चीन के साथ खड़ा होने को तैयार नहीं है।
चीन की बेचैनी और बाकी देशों की चुप्पी
चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंताओ ने कहा कि अमेरिका का ये टैरिफ कदम WTO नियमों का उल्लंघन है और वैश्विक व्यापार प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि चीन यह भी कह रहा है कि वह अब भी बातचीत का इच्छुक है, लेकिन अगर अमेरिका पीछे नहीं हटा तो वह मुकाबले के लिए तैयार है। चीन ने आसियान देशों से भी संपर्क साधा, लेकिन वहां से भी कोई ठोस समर्थन नहीं मिला। भारत ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह फिलहाल चीन की अपील से दूरी बनाए हुए है।
ऑस्ट्रेलिया का दो टूक जवाब
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने स्पष्ट कहा कि उनका देश मुक्त और निष्पक्ष व्यापार का समर्थक है, लेकिन वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा। यह बयान चीन की रणनीति के लिए एक और झटका माना जा रहा है।
चीन की चिंता बढ़ी, लेकिन झुकने को तैयार नहीं
बीजिंग की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि वह हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन अपने लोगों के हितों की रक्षा करेगा और अंतरराष्ट्रीय नियमों को कमजोर नहीं होने देगा।