मालदा: पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को मालदा के हिंसा प्रभावित क्षेत्र मोथाबारी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला और सांप्रदायिक हिंसा के लिए उनकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। सुवेंदु अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुस्लिम वोट को मजबूत करके अपनी सीट बचाने और तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली ममता बनर्जी को फिर एक बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट बैंक की राजनीति में हमारे किसान, गरीब और हिंदू समाज पर अत्याचार किए जा रहे हैं।”
उन्होंने इस स्थिति को रोकने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि वह हिंदुओं की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। गौरतलब है कि मार्च 2025 में मालदा के मोथाबारी इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। 27 मार्च को एक मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं की दुकानों को निशाना बनाया और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। उस समय भी सुवेंदु अधिकारी ने इस घटना की निंदा की थी और इसे हिंदुओं पर सुनियोजित हमला करार दिया था। अधिकारी ने ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी तुष्टीकरण की नीतियों के चलते राज्य में हिंदुओं, किसानों और गरीबों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी पर ऐसे आरोप लगे हैं। 2019 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था, जिसमें उन्होंने बांग्लादेशी कलाकारों को तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार करने की अनुमति देने की बात कही थी। सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “मैं यहां इस स्थिति का जायजा लेने आया हूं और आगे जो-जो काम करने चाहिए, मैं वे काम करूंगा। कोर्ट को भी इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। हम लोग हिंदुओं को सुरक्षित रखने का काम करेंगे।” बीजेपी पहले भी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर सक्रिय रही है। नवंबर 2024 में, पार्टी ने बांग्लादेश में एक हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ कोलकाता में प्रदर्शन किया था।
मोथाबारी में मार्च की हिंसा के बाद से तनाव बना हुआ है। स्थानीय हिंदू समुदाय ने सुरक्षा और न्याय की मांग की है, जबकि बीजेपी ने इस मुद्दे को राज्य सरकार की विफलता के रूप में पेश किया है। सुवेंदु अधिकारी के इस दौरे को बीजेपी की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसमें वह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। इस घटना ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को हवा दे दी है। अब देखना यह है कि इस मामले में कोर्ट और राज्य सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं।