दो साल पहले जब पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने पदभार संभाला था, तब यह जिला भौगोलिक चुनौतियों, प्रशासनिक अव्यवस्थाओं और आम जनता की उपेक्षा के बोझ तले दबा हुआ था। आज, दो वर्षों के अथक प्रयासों के बाद, जिले ने न केवल अपनी तस्वीर बदली है, बल्कि विकास के नए मानदंड भी गढ़े हैं। डीएम के शब्दों में, “मैंने बस यही कोशिश की कि पश्चिम चम्पारण उस मुकाम तक पहुँचे, जहाँ इसका हक है।”
बाढ़ से जंग और गांवों का पुनर्जन्म
सितंबर 2023 की वह भयावह सुबह आज भी डीएम दिनेश कुमार राय की यादों में ताजा है, जब गंडक नदी का कटाव मधुबनी प्रखंड के गदियानी टोला को निगलने लगा। जलस्तर नगण्य था, लेकिन नदी की एक पतली धारा सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि को अपने गर्भ में समेट रही थी। तत्काल कटाव रोकने के प्रयासों ने गांव को बचा लिया, लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत थी। ठकराहां के हरख टोला में स्कूल और सड़कें गंडक की भेंट चढ़ने लगीं। प्रशासन की चौकसी और इंजीनियरों की मेहनत ने तबाही को टाला।
इस संकट ने एक बड़ी योजना को जन्म दिया। 248 पीड़ितों को 9.53 करोड़ रुपये की आपदा राहत मिली, जो वर्षों से लंबित थी। आज, गंडक पार के प्रखंडों में बाढ़ प्रबंधन व्यवस्था पहले से कहीं मजबूत है।
जनता का सरकार तक पहुँचना
डीएम दिनेश कुमार राय का सबसे बड़ा संकल्प था—”कोई यह न सोचे कि डीएम के पास जाना मुश्किल है।” इसी भावना के तहत ‘आपकी सरकार आपके द्वार’ और ‘जन संवाद’ कार्यक्रमों ने दूरदराज के गांवों तक प्रशासन की पहुँच बनाई। लक्ष्मीपुर रमपुरवा और रामनगर जैसे इलाकों में शिविर लगाकर लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया गया।
शिक्षा और रोजगार में क्रांति
एक समय था जब पश्चिम चम्पारण के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी थी। आज, 10,865 नए शिक्षकों की नियुक्ति ने शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर ला दिया है। परिणाम? 2025 में मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में जिले की बेटियों ने बिहार में टॉप किया!
विकास की नई इबारत
- वाल्मीकि सभागार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सौगात, जो पर्यटन का नया केंद्र बनेगा।
- ठोरी गांव की पानी की समस्या: 43.40 लाख रुपये की योजना से जलसंकट का स्थायी समाधान।
- बांसी धाम का सौदर्यीकरण: भगवान राम की बारात की यादों को संजोता यह तीर्थ अब आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।
- मॉडल विलेज घोटवा: 15 दिनों में बदल गई गांव की तस्वीर—सोलर लाइट, नल-जल, पार्क और हेल्थ सेंटर ने जीवन बदल दिया।
चुनौतियों से जूझता प्रशासन
2024 के लोकसभा चुनावों में दोनों सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान कराना आसान नहीं था। इसी तरह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरों की तैयारियों ने प्रशासनिक टीम की क्षमता को साबित किया।
डीएम का संदेश स्पष्ट है—“अभी बहुत कुछ करना बाकी है।” अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल गांवों में विशेष विकास शिविर और महिला सशक्तिकरण अभियान आने वाले दिनों की प्रमुख योजनाएँ हैं।
निष्कर्ष: पश्चिम चम्पारण की यह यात्रा सिर्फ एक प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि जनता और सरकार के बीच बढ़ते विश्वास की मिसाल है। जिलाधिकारी की मेहनत और टीम के सहयोग ने साबित किया है कि “संकल्प और सहयोग से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।