पाकिस्तान के सीमित ओवरों के कप्तान मोहम्मद रिजवान (Mohammad Rizwan) इन दिनों मैदान के बाहर भी सुर्खियों में हैं। एक तरफ जहां उनका हालिया प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है, वहीं दूसरी ओर उन्हें सोशल मीडिया पर उनकी अंग्रेज़ी को लेकर ट्रोल किया जा रहा है। लेकिन अब रिजवान ने इस मसले पर खुद खुलकर जवाब दिया है और उनके जवाब ने कई दिल जीत लिए हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए 32 वर्षीय विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ने कहा, “मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। मुझे इस चीज़ पर फख्र है कि मैं जो अल्फाज़ कहता हूं, दिल से कहता हूं। मेरे दिल में जो आता है, वो ही बोलता हूं। अलहमदुलिल्लाह, मुझे इंग्लिश नहीं आती है। अफसोस इसका है कि मैंने तालीम नहीं ली।”
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रिजवान ने आगे कहा कि उन्हें इस बात की कोई शर्मिंदगी नहीं है कि एक पाकिस्तानी होते हुए भी वे अंग्रेज़ी नहीं बोल पाते। उन्होंने साफ तौर पर कहा, “मगर मुझे एक परसेंट भी इस चीज की शर्मिंदगी नहीं हो रही है। अफसोस है कि मैंने तालीम नहीं ली। जो मेरे पास है, वो मैं खुलकर कहता हूं।”
अपने बयान में रिजवान ने यह भी ज़ोर दिया कि एक खिलाड़ी से उसकी भाषा नहीं, बल्कि उसके खेल की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा, “मुझसे जो डिमांड है, वो क्रिकेट है। मुझसे इंग्लिश डिमांड नहीं है। अगर इंग्लिश मांगते हैं तो मैं क्रिकेट छोड़कर प्रोफेसर बन जाऊंगा, सीखकर फिर आ जाऊंगा।” उन्होंने युवाओं को शिक्षा के महत्व का संदेश देते हुए कहा कि वे हमेशा अपने जूनियर खिलाड़ियों को तालीम को गंभीरता से लेने की सलाह देते हैं।
अब रिजवान का यह स्पष्ट और दिल से निकला बयान अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और कई लोग उनकी ईमानदारी और आत्मसम्मान की सराहना कर रहे हैं। आलोचनाओं के बीच इस तरह का आत्मविश्वास दिखाना वाकई काबिल-ए-तारीफ है।