नई दिल्ली: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होने से राज्यसभा का गणित पूरी तरह बदल गया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने अब बिना नामांकित सदस्यों के भी बहुमत की स्थिति हासिल कर ली है, जिससे केंद्र सरकार को सदन में विधायी एजेंडा आगे बढ़ाने में बड़ी मजबूती मिली है।
AIADMK का साथ, NDA को मिला नया संबल
AIADMK के चार राज्यसभा सांसदों के समर्थन से NDA की संख्या अब बढ़कर 123 हो गई है। वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 236 है, जिसमें 9 सीटें खाली हैं। इससे पहले एनडीए के पास 119 सदस्य थे, जिसमें हरियाणा से निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा भी शामिल हैं, जिन्होंने बीजेपी के समर्थन से चुनाव जीता था। एनडीए को 6 नामांकित सदस्यों का भी समर्थन प्राप्त है। ये सभी सदस्य केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत किए गए हैं और परंपरागत रूप से सत्तारूढ़ दल के साथ मतदान करते हैं। इन्हें जोड़ने पर एनडीए की प्रभावी ताकत 129 तक पहुंच गई है, जो कि बहुमत के आंकड़े से कहीं अधिक है। राज्यसभा में जो 9 सीटें फिलहाल खाली हैं, उनमें से 4 नामांकित सदस्य, 4 जम्मू-कश्मीर से और 1 आंध्र प्रदेश से हैं। जम्मू-कश्मीर में केंद्र का प्रशासन है और आंध्र प्रदेश में अब एनडीए की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) की सरकार है, जिससे इन सीटों पर भी NDA समर्थित उम्मीदवारों के जीतने की संभावना मजबूत मानी जा रही है। यदि ये सभी सीटें NDA के पक्ष में जाती हैं, तो गठबंधन की ताकत 134 से अधिक हो सकती है — यानी उच्च सदन में एक स्थायी बहुमत। AIADMK के इस समर्थन से विपक्ष को सीधी रणनीतिक चुनौती मिली है। खास बात यह है कि जब हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया था, तब AIADMK ने इस विधेयक का विरोध किया था। लेकिन अब राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं। वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी के पास 98 सदस्य हैं, जिसमें दो नामांकित सदस्य भी शामिल हैं।
इनके अतिरिक्त, एनडीए के अन्य सहयोगियों में:
JDU – 4 सदस्य
NCP (अजित पवार गुट) – 3 सदस्य
TDP – 2 सदस्य
शिवसेना (शिंदे गुट), AGP, PMK, RLD, RLM, तमिल मनीला कांग्रेस, NPP, JD(S), RPI (अठावले), UPPL, और MNF – प्रत्येक से 1-1 सदस्य
इस नए समीकरण से स्पष्ट है कि राज्यसभा में अब एनडीए की स्थिति बेहद मजबूत हो चुकी है, और आगामी सत्रों में विपक्ष के लिए सरकारी विधेयकों को रोक पाना पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा।