पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन शनिवार को हिंसक झड़पों में तब्दील हो गया। प्रदर्शनकारियों ने दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया, दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और लूट की घटनाएं सामने आईं। हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 15 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी बल तैनात किया है और अब तक 150 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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हिंसा के बाद अब इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर चिंता जताई है, वहीं केंद्र और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने मुर्शिदाबाद की हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “जिस तरह का नंगा नाच वहां की सड़कों पर हुआ, निहत्थे लोगों को पीटा गया, गोली चलाई गई – यह दृश्य पूरे देश को स्तब्ध और दुखी कर देने वाला है।” उन्होंने कहा कि वहां अब शांति केंद्रीय बलों के बिना संभव नहीं दिखती।
जब मीडिया ने उनसे पूछा कि ममता बनर्जी कह रही हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा, इस पर त्यागी ने कहा, “राज्य को अधिकार है कि वह वक्फ एक्ट को लागू करे या न करे, लेकिन इस कानून की आड़ में निर्दोषों पर हिंसा करना पूरी तरह असंवैधानिक है।”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज कुमार झा ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा, “जो कुछ हो रहा है, वह रोंगटे खड़े कर देता है। हम सभी से अपील करते हैं कि विरोध शांतिपूर्ण हो। मामला न्यायालय में है, हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।”
बीजेपी के उस बयान पर जिसमें कहा गया था कि “मुर्शिदाबाद में हिंदू सुरक्षित नहीं हैं”, झा ने कहा, “ये बयानबाजी अब घिस चुकी है। सामाजिक सौहार्द की जिम्मेदारी केंद्र और सभी राज्य सरकारों की है। वोट की राजनीति में इसे न झोंका जाए। प्रधानमंत्री को अब इस मामले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए।”