गिरिडीह: झारखंड में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के बयान “मुसलमानों के लिए पहले शरीयत, फिर संविधान” ने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। बयान के बाद राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)-कांग्रेस गठबंधन विपक्ष के निशाने पर आ गया है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। गिरिडीह में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए झारखंड BJP अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा, “जो लोग जेब में संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं और खुद को उसका रक्षक बताते हैं, आज उन्हीं के मंत्री संविधान की अवहेलना कर रहे हैं। हफीजुल हसन अंसारी का बयान बताता है कि वे शरीयत को संविधान से ऊपर मानते हैं। यह लोकतंत्र का अपमान है।”
मरांडी ने JMM और कांग्रेस से जवाब मांगते हुए अंसारी को मंत्री पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन इस बयान पर चुप रहा तो यह उनकी मौन सहमति मानी जाएगी।
इस बीच, BJP के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने अंसारी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “ऐसे लोगों के लिए पाकिस्तान के दरवाजे खुले हैं।” वहीं, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और रांची से सांसद संजय सेठ ने भी बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे देश की एकता और संविधान की गरिमा को ठेस पहुंची है।
यह विवाद ऐसे समय में खड़ा हुआ है जब हाल ही में हुए झारखंड विधानसभा चुनावों में JMM-कांग्रेस गठबंधन ने भारी जीत दर्ज की थी। 81 में से 56 सीटों पर कब्जा कर सत्ता में वापसी करने वाले इस गठबंधन में JMM को 34, कांग्रेस को 16, RJD को 4 और CPI(ML) को 2 सीटें मिली थीं। वहीं, भाजपा को सिर्फ 21 सीटें मिल पाईं थीं।
अब सारा ध्यान JMM और कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। क्या गठबंधन अपने मंत्री के बयान से खुद को अलग करेगा, या बचाव की रणनीति अपनाएगा—यह आने वाले दिनों में झारखंड की सियासी दिशा तय कर सकता है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर संविधान और धार्मिक कानूनों के बीच संतुलन की बहस को गर्मा दिया है।