ढाका/नई दिल्ली: बांग्लादेश सरकार ने भारत से धागा (सूत) के आयात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह निर्णय नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एनबीआर) द्वारा जारी किया गया है और इसमें बेनापोल, भोमरा, सोनामस्जिद, बंगलाबंधा और बुरिमारी जैसे प्रमुख भूमि बंदरगाहों के जरिए आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार का यह कदम बांग्लादेश टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (बीटीएमए) की शिकायतों के बाद सामने आया है, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारत से आने वाला सस्ता सूत देश की घरेलू टेक्सटाइल मिलों को आर्थिक नुकसान पहुँचा रहा है।
भारत से सस्ते आयात ने बढ़ाई प्रतिस्पर्धा, सरकार ने खींची ब्रेक
बीटीएमए के अनुसार, भारत से भूमि मार्ग के जरिए आने वाला सूत समुद्री मार्ग से आने वाले सूत की तुलना में काफी सस्ता है। उदाहरणस्वरूप, जहां बांग्लादेश में 30 सिंगल सूत की कीमत 3.40 डॉलर प्रति किलोग्राम है, वहीं भारत में यह 2.90 डॉलर और वियतनाम में 2.96 डॉलर प्रति किलोग्राम है। एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि भूमि बंदरगाहों पर प्रयुक्त जांच प्रणाली और बुनियादी ढांचे की कमी के चलते कई आयातक टैक्स चोरी कर रहे हैं।
गारमेंट निर्यातकों ने फैसले को बताया ‘आत्मघाती’
हालांकि, इस निर्णय की आलोचना भी हो रही है। बांग्लादेश निटवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (BKMEA) के अध्यक्ष मोहम्मद हातेम ने इसे “आत्मघाती” करार दिया है। उनका कहना है कि इससे तैयार वस्त्र निर्यातकों की लागत बढ़ेगी और छोटे एवं मध्यम उद्यमों (SMBs) के लिए वैश्विक बाजार में टिकना और मुश्किल हो जाएगा। बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री, जो देश के कुल निर्यात का लगभग 80% हिस्सा बनाती है, भारत से करीब 95% सूत पर निर्भर है। वर्ष 2024 में देश ने 1.25 मिलियन मीट्रिक टन सूत का आयात किया, जो 2023 की तुलना में 31.5% अधिक है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में भारत ने बांग्लादेश को तीसरे देशों के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा रोक दी थी, जिसके जरिए वह अपने माल को भारतीय सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से आगे भेजता था।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस सुविधा से भारतीय बंदरगाहों पर भीड़ और देरी बढ़ रही थी, जिससे भारत का खुद का निर्यात प्रभावित हो रहा था।बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के एक हालिया बयान ने इस तनाव को और हवा दी है। यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “जमीन से घिरा क्षेत्र” बताते हुए चीन को इस क्षेत्र में आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने का न्योता दिया था, जिसे भारत ने राजनयिक तौर पर आपत्तिजनक माना।
2023-24 में भारत ने बांग्लादेश को 11 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जिसमें सूत, कपास, इंजीनियरिंग उत्पाद और पेट्रोलियम शामिल थे। वहीं, बांग्लादेश से भारत का आयात 1.8 बिलियन डॉलर रहा। हालिया राजनीतिक अस्थिरता और डॉलर की कमी के चलते भारतीय निर्यातकों को भुगतान में देरी का सामना भी करना पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द कोई संतुलित समाधान नहीं निकाला गया, तो द्विपक्षीय व्यापार और रणनीतिक सहयोग पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे संवाद की राह अपनाएं, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापारिक साझेदारी को बनाए रखा जा सके।