नई दिल्ली : वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार को दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए बर्क ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल संतुष्ट हैं और उम्मीद जताई कि आने वाली सुनवाई में उनकी मांगों पर पूरी तरह से राहत मिलेगी। जिया उर रहमान बर्क ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया है, हम उससे फिलहाल संतुष्ट हैं।
आगे जो सुनवाई होगी, उसमें हमारा प्रयास होगा कि हम जो चाहते हैं, उसमें हमें पूरी तरह से राहत मिले।” सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसके बाद याचिकाकर्ताओं को जवाब की समीक्षा के लिए पांच दिन का समय दिया जाएगा। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देशभर में तीखी बहस छिड़ी हुई है। इस अधिनियम में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और वक्फ संपत्तियों को डी-नोटिफाई करने की शक्ति जैसे प्रावधानों को लेकर कई संगठनों और नेताओं ने आपत्ति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में कुल 10 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP नेता अमानतुल्लाह खान, TMC सांसद महुआ मोइत्रा और सपा नेता जिया उर रहमान बर्क जैसे याचिकाकर्ता शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के पारित होने के बाद हुई हिंसा की भी निंदा की है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि यह स्थिति “बेहद परेशान करने वाली” है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई कल (18 अप्रैल) के लिए निर्धारित की है। इस बीच, कांग्रेस और सपा जैसे विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर इस अधिनियम को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “यह कानून जल्दबाजी में लाया गया है और विपक्ष की आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया।
हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर देगा।” वहीं, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस अधिनियम को “असंवैधानिक” करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 में वक्फ बोर्ड में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने और विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का हनन करता है और वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण की कोशिश है। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि वक्फ संपत्तियां भारत में मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और स्कूलों जैसी कई संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला इस मामले में निर्णायक साबित हो सकता है।