2025 के बिहार चुनाव से पहले सियासी समर का शंखनाद हो चुका है। लेकिन इस बार मैदान में एक नया चेहरा है—मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे, निशांत कुमार। जो कल तक कैमरों से दूर रहते थे, वो आज खुद कैमरे के सामने हैं, बयान पर बयान दे रहे हैं और सीधे तौर पर एनडीए की वापसी की अपील कर रहे हैं।
राजनीति में एंट्री और छोटे भाई को ललकार
हाल ही में एक पत्रकार वार्ता में जब निशांत कुमार से विपक्षी नेता तेजस्वी यादव का नाम लिया गया, तो उन्होंने पहले तो उन्हें ‘छोटा भाई’ कहकर संबोधित किया, फिर उसी सांस में उन्हें जनता के दरबार में आने की चुनौती भी दे डाली। उन्होंने कहा कि “ठीक है, हमारे छोटे भाई हैं। उनका स्नेह है। वो भी अपने आप को मुख्यमंत्री के दावेदार मानते हैं, तो चलिए जनता के दरबार में चलते हैं, जनता डिसाइड करेगी।”
नीतीश के स्वास्थ्य पर उठे सवालों का जवाब
तेजस्वी यादव द्वारा बार-बार नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। इसी मुद्दे पर निशांत ने तल्ख़ी के साथ जवाब दिया कि “हम सब 100% स्वस्थ हैं। पापा बिल्कुल ठीक हैं और आराम से 5 साल और सीएम रह सकते हैं। सक्षम हैं, फिर से बनेंगे मुख्यमंत्री।”
इस बयान के साथ निशांत ने ना सिर्फ अपने पिता की राजनीति को डिफेंड किया, बल्कि उनकी लीडरशिप को आगे भी जारी रखने का रोडमैप पेश कर दिया।
बढ़ते पोस्टर और बनती रणनीति
बिहार की सड़कों पर इन दिनों निशांत कुमार के पोस्टर और बैनर चर्चा का विषय हैं। जेडीयू के कार्यकर्ता उन्हें अगले नेतृत्वकर्ता के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुट गए हैं। पार्टी स्तर पर भले ही कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई हो, लेकिन जनता के बीच यह संदेश जा चुका है कि जेडीयू अब नई पीढ़ी के नेता को उभारने की तैयारी में है।
चुनावी अपील और विकास का मुद्दा
निशांत ने जनता से साफ अपील की है कि “देखिए, जैसे 2010 में बहुमत से एनडीए की सरकार बनी थी, वैसी ही इस बार भी बनाएं। पिताजी ने 20 साल में जो विकास किया—चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या अन्य सेक्टर—वो जनता को बताइए। हमारे कार्यकर्ता आंकड़ों के साथ जनता को समझाएं कि बदलाव क्या आया है।”
एक तरफ तेजस्वी यादव—जो पहले से ही जनता के बीच एक युवा नेता के तौर पर स्थापित हैं, तो दूसरी तरफ निशांत कुमार—जिन्होंने हाल ही में सियासी बिसात पर कदम रखा है। सवाल बड़ा है—क्या बिहार चुनाव 2025 की सबसे बड़ी सियासी कहानी ‘तेजस्वी बनाम निशांत’ होगी? जनता फैसला करेगी। और फैसला होगा उसी दरबार में—जनता के दरबार में।