बक्सर के दलसागर मैदान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा, जो पार्टी के लिए जनजागरण का बिगुल बननी थी, अब आत्ममंथन का कारण बन गई है। 20 अप्रैल को आयोजित यह रैली न केवल भीड़ की कमी से जूझती रही, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी असंगति और संगठनात्मक लचरता का खुला प्रदर्शन बनकर रह गई।
सभा स्थल पर हजारों कुर्सियाँ लगाई गई थीं, लेकिन दर्शक केवल गिने-चुने। नेताओं ने सोशल मीडिया के लिए फोटो खिंचवाई, लेकिन जमीन पर जनता को लाने की जिम्मेदारी निभाना भूल गए। परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय अध्यक्ष का संबोधन अधिकतर खाली कुर्सियों के बीच गूंजता रहा। और अब इसकी पहली बड़ी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी है — कांग्रेस ने बक्सर जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
‘रैली’ नहीं, बनी ‘रायता’
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में साफ तौर पर लिखा गया कि “सभा की तैयारियों में घोर कमी और आपसी समन्वय का अभाव पाया गया। जिला कांग्रेस कमिटी ने अपने उत्तरदायित्व का ठीक से निर्वाहन नहीं किया।” यह वही रैली थी, जिसे हाईकमान ने ‘संकल्प रैली’ जैसा महत्व दिया था, लेकिन ज़मीनी हकीकत ने इसे मज़ाक में बदल दिया।
भीड़ नहीं, केवल चेहरों की नुमाइश
जानकारों की मानें तो ज़िलास्तरीय नेतृत्व सिर्फ मंच पर मौजूद रहने और राष्ट्रीय नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने तक सीमित था। आरोप लग रहे हैं कि लोगों को लाने की जगह नेता केवल कैमरे में खुद को चमकाने में लगे रहे।
राजनीतिक भूचाल और अटकलों की गर्मी
इस निलंबन के बाद बक्सर जिला कांग्रेस में मानो भूचाल आ गया है। कार्यकर्ताओं में असंतोष है, और पार्टी के अंदर भविष्य की रणनीति को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ जिलाध्यक्ष की असफलता थी, या फिर यह प्रदेश नेतृत्व की भी विफलता का प्रतिबिंब है?
अब सवाल बड़ा है…
बक्सर की यह सभा महज़ एक आयोजकीय चूक नहीं थी, यह कांग्रेस के वर्तमान सांगठनिक ढांचे पर एक करारा तमाचा है। क्या केवल एक जिलाध्यक्ष की बलि देकर पार्टी इस असफलता को भूल जाएगी? या यह मामला उस राजनीतिक रोग का लक्षण है, जिसमें ‘भूमि पर संगठन’ की जगह ‘सोशल मीडिया ब्रांडिंग’ ने ले ली है?
बक्सर की यह सभा एक चेतावनी है — कांग्रेस को अब रैलियों में कुर्सियाँ भरने से ज़्यादा, ज़मीन पर भरोसे की जगह भरनी होगी। क्योंकि अगर जनता न आई, तो सत्ता तो बहुत दूर, विपक्ष की भी कुर्सी खाली रह जाएगी।