जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को दौरा किया। यह उनकी लगातार दूसरी यात्रा थी, जिसमें उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और राहत कार्यों की प्रगति का आकलन किया। इस आपदा ने रामबन को कश्मीर घाटी और जम्मू के बीच संपर्क काट दिया है, क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर मलबा जमा होने से यह लगातार तीसरे दिन बंद रहा।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम राहत के लिए काम कर रहे हैं। हमारी प्राथमिकता हाईवे को जल्द से जल्द बहाल करना है। नुकसान का आकलन किया जा रहा है और प्रभावित लोगों के लिए राशन और पानी की व्यवस्था की जा रही है। जिन लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, उनके लिए जम्मू से मुफ्त राशन का ऐलान किया जाएगा। इसके लिए मैं जल्द ही कागजी कार्रवाई पूरी कर लूंगा।”
उन्होंने आगे बताया कि जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द लंगर (सामुदायिक रसोई) शुरू किए जाएं। साथ ही, पानी के टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है ताकि प्रभावित लोगों को तत्काल राहत पहुंचाई जा सके। सड़क बहाल होने के बाद नुकसान का विस्तृत आकलन कर राहत राशि वितरित की जाएगी। रामबन जिला, जो जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है, भूस्खलन की इस घटना से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 20 अप्रैल को हुई इस आपदा में तीन लोगों की मौत हो गई, कई घर नष्ट हो गए और एक बाजार मलबे में दब गया। जर्नल ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (2023) के एक अध्ययन के अनुसार, रामबन के खड़ी ढलानों और मानसून पैटर्न के कारण इस क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा प्रतिवर्ष 30% तक बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री ने चंदरकोट क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद सीधे सरी में भूस्खलन प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इसके बाद वे अन्य प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने और जिला मुख्यालय में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करने वाले हैं। इस बीच, भारतीय सेना भी राहत कार्यों में सक्रिय है और उसने NH-44 पर फंसे यात्रियों और स्थानीय लोगों को आवश्यक सामग्री, चिकित्सा सहायता और आश्रय प्रदान किया है। कश्मीर के मंडल आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने आश्वासन दिया है कि घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है। सरकार और प्रशासन मिलकर प्रभावित लोगों के पुनर्वास और राहत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।