बिहार की राजनीतिक बिसात पर फिर से बड़े दांव की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस बार मोहरा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भी हैं, जो मई महीने में दो बार बिहार की धरती पर कदम रखने वाले हैं। उनका मिशन स्पष्ट है—मगध और शाहाबाद जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में बीजेपी और एनडीए के लिए सियासी सांसें वापस लाना।
राजनीतिक परिदृश्य: जहां NDA पिछड़ गया था
2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन ने जिन 9 सीटों पर जीत हासिल की, उनमें से 7 सीटें मगध और शाहाबाद क्षेत्र की थीं। यही वे इलाके हैं जहां बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा और अब मोदी इन इलाकों में ‘पॉलिटिकल रिकवरी’ ऑपरेशन को खुद लीड करने आ रहे हैं।
PM का दोहरा बिहार दौरा: प्रतीक से परे रणनीति की बुनियाद
- पहला दौरा: मई के पहले सप्ताह में पटना, जहां पीएम मोदी ‘खेलो इंडिया’ के उद्घाटन समारोह में हिस्सा ले सकते हैं।
- दूसरा दौरा: 30 मई को शाहाबाद, संभवत: औरंगाबाद या सासाराम में एक बड़ी रैली का आयोजन संभावित है।
हालांकि इन दौरों की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी संगठन युद्धस्तर पर तैयारियों में जुट गया है।
सिर्फ रैली नहीं, जमीन से जुड़ने की कवायद
भाजपा इसे केवल चुनावी रैली नहीं, बल्कि जनसंपर्क और जमीनी पकड़ मजबूत करने का मौका मान रही है।
संगठनात्मक पुर्नगठन भी जोरों पर
बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में प्रदेश कमेटी के गठन और बाबा साहेब अंबेडकर सम्मेलनों के आयोजन पर चर्चा हुई। यही नहीं, इन कार्यक्रमों में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर स्थानीय नेताओं तक की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
एक चुनाव, दो मिशन
पीएम मोदी का यह बिहार दौरा ‘डैमेज कंट्रोल’ और ‘मोमेंटम बिल्डिंग’ दोनों उद्देश्यों को साधने वाला है। एक ओर जहां पिछली हार की भरपाई करनी है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के उभार के सामने एनडीए को मजबूत विकल्प के रूप में पेश करना है। मगध और शाहाबाद न केवल भौगोलिक दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक तापमान के लिहाज से भी चुनाव 2025 के लिए निर्णायक क्षेत्र साबित हो सकते हैं।