बोकारो: झारखंड के बोकारो जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान में एक और सफलता हासिल हुई है। महिला नक्सली सुनीता मुर्मू ने सोमवार को सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब राज्य में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
बता दें, यह आत्मसमर्पण झारखंड सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें नक्सलियों को हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
हाल ही में बोकारो के लुगु हिल्स में सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन में आठ नक्सलियों को मार गिराया था, जिसमें एक शीर्ष नक्सली नेता विवेक उर्फ प्रयाग माझी भी शामिल था, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा था कि राज्य में सक्रिय नक्सलियों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है और उन्हें आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में सरकार का अभियान लगातार जारी है। उन्होंने सुरक्षा बलों की तारीफ करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी है।
नक्सलवाद, जो 1967 के नक्सलबाड़ी आंदोलन से शुरू हुआ, भारत के लिए एक बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती रहा है। दक्षिण एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, 2000 के दशक से अब तक नक्सल हिंसा में 11,500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्य अभी भी इस समस्या से प्रभावित हैं।
झारखंड सरकार ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त कार्रवाई के साथ-साथ विकास योजनाओं के जरिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित की जा सकती है।
इस बीच, भारत सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। सुनीता मुर्मू का आत्मसमर्पण इस दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।