नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) के प्रमुख शामिल हुए। यह बैठक जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद बुलाई गई, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।
पहलगाम हमले के बाद सख्त रुख:
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक 7 लोक कल्याण मार्ग, प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करना और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की रणनीति तैयार करना था। पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को दोहराया है। पीएम मोदी ने पहले ही कह चुके हैं कि “हर आतंकी और उनके समर्थकों को ढूंढकर सजा दी जाएगी, चाहे वे कहीं भी हों।”
पाकिस्तान पर बढ़ा तनाव:
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। वेब स्रोतों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन का हवाला देते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने धमकी भरे बयान दिए थे। इसके अलावा, लंदन में भारतीय समुदाय ने पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की।
सुरक्षा बलों को निर्देश:
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को युद्ध की तैयारी बढ़ाने और आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज करने का निर्देश दिया। इससे पहले, 23 अप्रैल को भी राजनाथ सिंह ने एक समीक्षा बैठक की थी, जिसमें डोभाल, चौहान और तीनों सेना प्रमुख मौजूद थे। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में श्रीनगर का दौरा कर सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए।
नेताओं का एकजुट समर्थन:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बयान में कहा, “सभी राजनीतिक दलों ने पहलगाम हमले के बाद सरकार के कदमों का समर्थन किया है। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) के फैसलों को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई है।” इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की तटस्थ जांच की पेशकश को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया था।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
पहलगाम हमले पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा, “फ्रांस इस दुख की घड़ी में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।” भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।
आगे की रणनीति:
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई, खुफिया तंत्र को मजबूत करने और सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने दो मिनट का मौन रखकर पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा, “हमारी लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ अंतिम सांस तक जारी रहेगी।”