नई दिल्ली: भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित आंकड़े शामिल करने के फैसले का स्वागत किया है। गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा से जाति जनगणना का समर्थन किया है और इस मुद्दे पर पार्टी का रुख कभी विरोधाभासी नहीं रहा।
हुसैन ने बिहार में 2023 में हुई जाति जनगणना का हवाला देते हुए कहा, “जब बिहार में जाति आधारित सर्वे हुआ था, तब भी भाजपा ने इसका पूर्ण समर्थन किया था। हमारे कई मुख्यमंत्री पिछड़ी जातियों से आते हैं। यह एक बड़ा और स्वागत योग्य निर्णय है।” बिहार के उस सर्वे में 25.89 मिलियन परिवारों को शामिल किया गया था, जिसमें 36% आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग से थी, हालांकि कुछ नेताओं ने डेटा की सटीकता पर सवाल भी उठाए थे।
यह बयान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की उस घोषणा के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 30 अप्रैल 2025 को बताया था कि आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित आंकड़े शामिल किए जाएंगे। यह फैसला 1951 के बाद की उस नीति को बदलता है, जिसमें केवल अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना की जाती थी। वैष्णव ने कहा कि यह कदम पारदर्शी तरीके से लागू होगा और इससे सामाजिक-आर्थिक नीतियों को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी।
हालांकि, यह निर्णय राजनीतिक बहस का विषय भी बन सकता है। 2023 में बिहार सर्वे के बाद भाजपा के कुछ नेताओं, जैसे सांसद रविशंकर प्रसाद, ने सर्वे की सटीकता पर सवाल उठाए थे, क्योंकि सर्वे में 100% कवरेज की कमी थी, जो एक पूर्ण जनगणना में संभव है। फिर भी, भाजपा अब इस कदम को अपनी ओबीसी नीति के अनुरूप बता रही है, जिसे पार्टी ने हमेशा हिंदुत्व और सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत बढ़ावा दिया है।
जाति जनगणना का यह कदम भारत में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि जाति देश में सामाजिक-आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण पहलू बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा समावेशी नीतियां बनाने में मदद करेगा, लेकिन इसे लागू करने में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।