नई दिल्ली : भारत के चुनाव आयोग ने देश में मतदाता सूचियों की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बेहतर बनाने के लिए तीन महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है। इन पहलों का उद्देश्य मतदाता अनुभव को सुगम बनाना और चुनावी प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय और त्रुटिहीन बनाना है।
1. मृत्यु पंजीकरण डेटा का डिजिटली समन्वय
चुनाव आयोग अब राज्यों से मृत्यु पंजीकरण डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करेगा। इसका उद्देश्य मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूचियों से स्वतः हटाना है, जिससे भूत मतदाताओं (ghost voters) की समस्या को कम किया जा सके। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों में 10% तक प्रविष्टियाँ गलत थीं – जिनमें मृत्यु और प्रवास प्रमुख कारण थे।
2. बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को पहचान पत्र
अब सभी BLOs को मानकीकृत पहचान पत्र (ID cards) दिए जाएंगे, जिससे उनकी साख और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। BLOs चुनाव आयोग के जमीनी स्तर के प्रतिनिधि होते हैं, जो मतदाता पंजीकरण, संशोधन और सूचनात्मक सेवाओं का कार्य करते हैं।
3. मतदाता सूचना पर्चियों का नया डिज़ाइन
मतदाता सूचना पर्चियों (Voter Information Slips) को अब एक नई और सरल डिज़ाइन में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मतदाता की पहचान संख्या, मतदान केंद्र का नाम, समय और स्थान जैसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ स्पष्ट रूप से दर्शाई जाएंगी। यह मतदाताओं को मतदान के दिन भ्रम से बचाएगा और सुविधा बढ़ाएगा।
चुनाव आयोग के उप निदेशक पी. पवन ने कहा:
“हमारा उद्देश्य मतदाता सूची को पूर्णतः सटीक और अद्यतन बनाना है। ये तीनों पहल चुनावी प्रक्रिया में जन विश्वास को सुदृढ़ करेंगी।”
अंतरराष्ट्रीय अनुभव से प्रेरणा
चुनाव आयोग ने यह पहल कनाडा जैसे देशों से प्रेरित होकर बनाई है, जहाँ डिजिटल डेटा समेकन से 2015 से 2019 के बीच मतदाता सूचियों की त्रुटियाँ 15% तक कम की गईं। भारत में भी इस मॉडल के तहत सुधार की महत्वपूर्ण संभावनाएँ हैं।
ECI ने घोषणा की है कि इन तीनों पहलों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शीघ्र लागू किया जाएगा, जिसके लिए समन्वय बैठकें और तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
आयोग की ये तीन पहलों वाली रणनीति भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इससे न केवल मतदाता प्रक्रिया अधिक सुगम होगी, बल्कि मतदाता सूची में विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।